ऐसे समझें नया कृषि कानून... खुल सकेंगे और कोल्ड स्टोर व साइलोज, फसल नहीं होगी खराब

आवश्यक वस्तु कानून (Essential commodity law) में संशोधन से हर साल अनाज खराब नहीं होगा फल सब्जियां भी ज्यादा देर स्टोर की जा सकेंगी। नया कानून आने से निजी सेक्टर के कोल्ड चेन में निवेश की संभावना बढ़ेगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 29 Sep 2020 10:26 AM (IST) Updated:Tue, 29 Sep 2020 11:35 AM (IST)
ऐसे समझें नया कृषि कानून... खुल सकेंगे और कोल्ड स्टोर व साइलोज, फसल नहीं होगी खराब
देश में अनाज भंडारण की फाइल फोटो। एजेंसी

चंडीगढ़ [इन्द्रप्रीत सिंह]। यह बात 2007 की है। फरवरी में अचानक गर्मी बढ़ने के कारण कृषि विभाग ने पंजाब में गेहूं की पैदावार में कमी की चेतावनी दी। लगभग यही हाल हरियाणा का था। फरवरी में तो किसी ने इस चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जैसे ही गेहूं मंडियों में आनी शुरू हुई, उससे साफ संकेत मिल रहा था कि पंजाब में 30 लाख टन और हरियाणा में 20 लाख टन पैदावार हो सकती है। अपने बफर स्टॉक को पूरा न होता देख सरकार ने सभी प्राइवेट कंपनियों की मंडियों में खरीद पर पाबंदी लगा दी। यही नहीं, तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार चंडीगढ़ डेरा लगाकर बैठ गए।

पूरे देश की बड़ी कंपनियों ने इस पाबंदी का विरोध किया तो केंद्र सरकार ने अपने पूर्व आदेश में संशोधन करते हुए कहा कि प्राइवेट कंपनियां 25 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा की खरीद नहीं कर पाएंगी और ये अनाज कहां रखा है, इसकी सारी जानकारी सरकार को देनी होगी। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सरकार ने अपना 350 लाख टन का बफर स्टॉक बनाकर रखना था।

आज 13 साल बाद स्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं। केंद्र सरकार ने जो तीन विधेयक खेती सुधार के लिए पारित करके कानून बनाए हैं उनमें एक आवश्यक वस्तु संशोधन कानून है जिसमें यह प्रावधान किया गया कि प्राइवेट कंपनी अनाज, आलू, प्याज दालें आदि वस्तुएं जितनी चाहे खरीद कर सकती हैं और इसे जहां चाहे रख सकती हैं। उसे सरकार को बताने की जरूरत नहीं है, लेकिन युद्ध और आपात स्थिति होने पर यह कानून लागू नहीं रहेगा।

क्यों ऐसा कदम उठाना पड़ा सरकार को

पिछले एक दशक से देश भर में अनाज की पैदावार में अच्छी खासी वृद्धि हुई है। हालत यह हो गए हैं कि देश में बफर स्टॉक अब अपनी जरूरत से भी दोगुना हो गया है। वह भी उस समय जब पूर्व यूपीए सरकार के दौरान खाद्य सुरक्षा एक्ट बना दिया गया था जिसके तहत गरीब लोगों को दो रुपये किलो गेहूं और तीन रुपये किलो चावल देने का प्रावधान किया गया है। अगर किसी को यह नहीं मिलता तो उसके पास कानूनी अधिकार है कि वह सरकार से इसकी मांग कर सकता है। ऐसा करने के बावजूद मई 2020 में बफर स्टॉक 752 लाख मीट्रिक टन था।

दीर्घ अवधि के लिए हो सकेगा भंडारण

सरकार के पास इतनी ज्यादा तादाद में खाद्यान्न को संभालना ही एक बड़ी समस्या है। देश में दीर्घ अवधि के लिए अनाज को स्टोर करने की व्यवस्थाओं की भारी कमी है। इस कारण हर साल दो फीसद से ज्यादा अनाज खराब हो जाता है। अनाज स्टोरेज का सारा दारोमदार सरकारी एजेंसियों के कंधों पर है। ऐसा इसलिए भी है कि आवश्यक वस्तु कानून के चलते प्राइवेट कंपनियां इस ओर निवेश नहीं कर रही हैं। सब्जी, फल जैसे उत्पादों को संभालने के लिए कोल्ड स्टोरेज और अनाज को संभालने के लिए साइलोज जैसी सुविधा की भारी कमी है।

पंजाब में सब्जियों के भंडारण की कमी होगी दूर

दस साल पहले खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री आदेश प्रताप सिंह कैरों ने देश भर में अनाज भंडार की कमी का मुद्दा उठाते हुए एफसीआइ से सभी राज्यों का सर्वे करवाया था और पाया कि देशभर में 72 लाख मीट्रिक टन अनाज की कमी है। उन्होंने अल्प और दीर्घकालिक भंडारण योजनाओं के लिए गोदाम और साइलोज बनाने की मांग रखी। इसमें पंजाब को 44 लाख टन के गोदाम बनाने को मंजूरी मिली। इसके साथ ही दस लाख टन के साइलोज प्राइवेट और सरकारी सेक्टर में बनाने की मंजूरी मिली।

जालंधर-कपूरथला, रामपुरा फूल और बनूड़ शहरों में निजी सेक्टर द्वारा बनाए गए कोल्ड स्टोर हैं, जो आलू आदि रखने के लिए बनाए गए हैं। सब्जियों की कोल्ड चेन की पंजाब में भारी कमी है। नया कानून आने से निजी सेक्टर के कोल्ड चेन में निवेश की संभावना बढ़ेगी, क्योंकि अब कंपनियों को बताने की जरूरत नहीं है कि उन्होंने क्या क्या, कितना खरीदा है। ऐसे में जहां गेहूं और चावल की खरीद में भी निजी सेक्टर रुचि बढ़ाएगा, वहीं सरकारी एजेंसियों पर इसका भार भी कम होगा।

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