सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ कलाकारी और मूर्तिकारी को समर्पित है नई उम्मीद नई पहलः भाटिया

चंडीगढ़ में वर्चुअल फेस्टिवल में नार्थ जोन कल्चर सेंटर पटियाला के सचिव जगजीत सिंह भाटिया ने बताया कि हमारा प्रयास संस्कृति के आदान-प्रदान साथ एक-दूसरे से सीख लेने का भी है। इसी के तहत नई उम्मीद नई पहल में हाथ की कलाकारी और मूर्तिकारी को जगह दी गई है।

By Vinay kumarEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 11:51 AM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 11:51 AM (IST)
सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ कलाकारी और मूर्तिकारी को समर्पित है नई उम्मीद नई पहलः भाटिया
ऑनलाइन कला महोत्सव में भाग लेती युवती।

चंडीगढ़, जेएनएन। नार्थ जोन कल्चर सेंटर पटियाला की तरफ से भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से आयोजित नई उम्मीद नई पहल कार्यक्रम सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ हैंडीक्राफ्ट और कलाकारी को समर्पित है। 11 जनवरी से शुरू हुए वर्चुअल फेस्टिवल में नार्थ जोन कल्चर सेंटर पटियाला के सचिव जगजीत सिंह भाटिया ने बताया कि हमारा प्रयास संस्कृति के आदान-प्रदान साथ एक-दूसरे से सीख लेने का भी है। इसी के तहत नई उम्मीद नई पहल में हाथ की कलाकारी और मूर्तिकारी को जगह दी गई है।

मूर्तिकार प्रवेश कुमार, राजकुमार,साहिल, शशि, शिवानी, सपना और तरविंदर सिंह विभिन्न अवधारणाओं पर लकड़ी पर कलाकृतियों का निर्माण कर रहे हैं। 16 जनवरी तक मॉडल तैयार होंगे। जिसमें चंडीगढ़ शहर की हड़प्पा सभ्यता से लेकर आज तक कि यात्रा को दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अलावा बुद्ध की एक मूर्ति पर काम हो रहा है जिसमें प्रेम और शांति का संदेश दिया जा रहा है। लोक गायक जुगराज सिंह और समूह ने पंजाब के लोक गीत गाए जिसमें लोक संस्कृति के विभिन्न आयामों को पेश किया गया। इस कार्यक्रम में वाद्ययंत्र ढोल, हारमोनियम और एल्गोजा बजाए जाते हैं। आइटम हरिंदर सिंह, विद्या प्रमुख, लोक कला, संस्कार भारती के मार्गदर्शन में प्रस्तुत किया गया था।

थिएटर

सांवद थिएटर ग्रुप के अभिनेताओं ने एक स्ट्रीट प्ले स्वच्छ भारत का मंचन किया। अभिनेता कमल भारद्वाज, विक्की, उदय, अमित, अम्मी, हिमांशी राजपूत और श्रेया ने स्वच्छता और शौचालय के उपयोग के बारे में जागरूकता लाने का प्रयास किया। नाटक को मुकेश शर्मा ने लिखा है और निर्देशन कमल भारद्वाज ने किया है, वहीं अभिनेता सरगम ने मोनो एक्ट काबुलीवाला प्रस्तुत किया । रवींद्रनाथ टैगोर की एक कहानी पर आधारित इस अधिनियम को सरगम ने लिखा है।

फिल्म की कहानी एक छोटी लड़की के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने इलाके में आने वाले एक फेरीवाले से लगाव रखती है। फेरीवाले को चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है और लड़की की शादी के दिन सालों बाद रिहा किया जाता है। आखिरकार यह पता चलता है कि काबुलीवाला के नाम से लोकप्रिय फेरीवाला ने अपनी बेटी को बंगाल की यात्रा से पहले काबुल में छोड़ दिया है और उसने उस छोटी लड़की में सांत्वना पाई जिसमें उसने अपनी खोई हुई लड़की की छवि देखी थी।

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