कैप्टन 2019 में नवजोत सिद्धू को सौंपना चाहते थे ऊर्जा विभाग, ठुकरा दिया था पद, अब बिजली संकट पर उठा रहे सवाल

नवजोत सिंह सिद्ध कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार पर लगातार आक्रामक हैं। अब सिद्धू ने बिजली के मुद्दे पर कैप्टन सरकार को घेरा है। वहीं जब कैप्टन ने सिद्धू को ऊर्जा मंत्री का पद दिया था तो उन्होंने यह पद ठुकरा दिया था।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 03 Jul 2021 11:32 AM (IST) Updated:Sat, 03 Jul 2021 02:42 PM (IST)
कैप्टन 2019 में नवजोत सिद्धू को सौंपना चाहते थे ऊर्जा विभाग, ठुकरा दिया था पद, अब बिजली संकट पर उठा रहे सवाल
कैप्टन अमरिंदर सिंह व नवजोत सिंह सिद्धू का फाइल फोटो।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से मीटिंग के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सार्वजनिक तौर पर आलोचना करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। पंजाब में बिजली संकट को लेकर जब त्राहि-त्राहि मची हुई है, तब उसी को लेकर एक बार फिर से सिद्धू ने अपनी सरकार को घेरते हुए एक के बाद एक नौ ट्वीट किए हैं।

दिलचस्प यह है कि यह वही नवजोत सिद्धू हैं, जिन्हें 2019 के संसदीय चुनाव के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बिजली महकमा दिया था, लेकिन उन्होंने लेने से इन्कार करते हुए कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। हालांकि पार्टी नेता सिद्धू के खिलाफ खुलकर तो बोल नहीं रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि अब सरकार को सलाह देने का क्या लाभ। जब खुद सिद्धू के पास बिजली महकमे में सुधार का मौका था तो उन्होने यह चुनौती स्वीकार नहीं की। उन्होंने सिद्धू को सलाह देते हुए कहा कि ट्विटर पर सलाह देने से बात नहीं बनती है। काम करके दिखाना पड़ता है।

पंजाब में बिजली संकट को देखते हुए सरकार ने शुक्रवार से ही बंदिशें लागू कर दी हैं, जिसमें दफ्तरों के समय में बदलाव किया गया है। दफ्तरों में एसी चलाने पर पाबंदी लगाई गई है। साथ ही, इंडस्ट्री पर भी कट लगा दिया गया है। इस पर पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने समय रहते सही कदम उठाया होता तो दफ्तरों का समय बदलने और कट लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। लोगों को 24 घंटे बिजली मुहैया करवाई जा सकती थी।

सिद्धू ने ट्वीट में प्राइवेट थर्मल प्लांटों के साथ किए गए समझौतों के बारे में कोई फैसला न करने पर सरकार पंजाब की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि पंजाब 4.54 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली खरीद रहा है, जबकि राष्ट्रीय औसत 3.85 रुपये प्रति यूनिट है। पंजाब के तीन प्राइवेट थर्मल प्लांटों पर निर्भरता के चलते विभाग लोगों से पांच रुपये से लेकर आठ रुपये प्रति यूनिट वसूल रहा हैं।

एक अन्य ट्वीट में नवजोत सिंह सिद्धू ने पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बादल सरकार ने तीन प्राइवेट प्लांटों के साथ पीपीए साइन किए, लेकिन इस एग्रीमेंट की गलत मदों के कारण हम आज तक 5400 करोड़ रुपये दे चुके हैं। पंजाब के लोगों का 65 हजार करोड़ रुपया फिक्स चार्जेस के रूप में दे देंगे।

सिद्धू ने कहा कि पंजाब नेशनल ग्रिड से सस्ती दर पर बिजली की खरीद कर सकता है, लेकिन बादल सरकार की ओर से हस्ताक्षरित इन पीपीए के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि पंजाब को प्रति यूनिट खपत का सबसे कम राजस्व मिलता है। ऐसा पावर खरीद और सप्लाई सिस्टम में मिस मैनेजमेंट के कारण है। पावरकाम 0.18 रुपये प्रति यूनिट सप्लाई करने पर अतिरिक्त खर्च कर रहा है। सिद्धू ने ट्वीट में कहा कि गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत सस्ती बिजली के स्त्रोत बन रहे हैं और यह पर्यावरण के नजरिए भी उत्तम हैं, लेकिन पंजाब सोलर और बायोमास की अपनी संभावनाओं का फायदा नहीं उठा पा रहा है हालांकि, इसके लिए केंद्रीय वित्तीय योजनाएं भी मिल रही हैं।

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