नवजोत सिंह सिद्धू की 'कर्मभूमि' अमृतसर छोड़ कैप्टन अमरिंदर के गढ़ पटियाला में बैंटिंग की तैयारी
पंजाब के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू अचानक सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के गढ़ पटियाला में सक्रिय हो गए हैं। साफ है कि सिद्धू की अमरिंदर के गढ़ में सियासी बैटिंग की तैयारी है। सिद्धू अपनी कर्मभूमि अमृतसर को छोड़ कर पटियाला में पत्नी के साथ सक्रिय हैं।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। पंजाब के फायर ब्रांड नेता और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू अपनी 'कर्मभूमि' को छोड़कर सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के गढ़ पटियाला में सियासी बैटिंग करने की तैयारी में है। शाही शहर पटियाला की सियासत में अभी तक कैप्टन अमरिंदर सिंह व उनके परिवार का दबदबा रहा है, वहां से अब सिद्धू ताल ठोंकने की तैयारी कर रहे हैं। वैसे पटियाला सिद्धू का भी गृहनगर है लेकिन 2004 में यह शहर छोड़ गुरु नगरी अमृतसर को उन्होंने अपनी कर्मभूमि बना लिया था।
17 साल बाद सिद्धू दंपती अमृतसर से ज्यादा पटियाला में दिख रहे हैं सक्रिय
अब पटियाला की सिद्धू का रुझान लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां तक कि उन्होंने पटियाला में अपना दफ्तर भी खोल लिया है। सबकी नजर सिद्धू की अगली रणनीति पर है। सिद्धू के तेवर भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को लेकर फिर से तीखे होने लगे हैं। 17 साल बाद सिद्धू दंपती अमृतसर से पटियाला में ज्यादा सक्रिय नजर आ रहा है।
आाखिर सिद्धू के लिए क्या हैं सियासी विकल्प
सिद्धू लंबे समय से पंजाब कांग्रेस की प्रधानगी चाहते थे और कैप्टन इसके लिए तैयार नहीं हुए। पंजाब में इन दिनों सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि सिद्धू का क्या होगा? क्योंकि, कांग्रेस में उनकी बन नहीं रही और भाजपा ने अपने दरवाजे सिद्धू के लिए बंद कर दिए हैं। आम आदमी पार्टी भी सिद्धू में रुचि नहीं रख रही है। ऐसे में चर्चा इस पर हो रही है कि सिद्धू क्या अपनी पार्टी बनाएंगे या चौथी पार्टी की बनाई पिच पर बल्लेबाजी करेंगे?
2004 में अपने राजनीतिक गुरु अरुण जेटली के कहने पर नवजोत ने पटियाला छोड़कर अमृतसर में रैन बसेरा बना लिया। सिद्धू ने राजनीति में दमदार ओप¨नग की और कांग्रेस के धाकड़ नेता रघुनंदन लाल भाटिया को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया। इसके बाद सिद्धू गुरु नगरी में ही बस गए। वहीं से उन्होंने लोकसभा का एक उप चुनाव और 2009 का आम चुनाव भाजपा टिकट पर जीता लेकिन हर बार उनकी जीत का अंतर कम होता गया।
2014 में भाजपा ने सिद्धू को हरियाणा से चुनाव लड़ने के लिए कहा लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इससे इंकार कर दिया कि वह अपनी कर्मभूमि गुरुनगरी अमृतसर को छोड़ कर नहीं जाएंगे। भाजपा ने उन्हें राज्यसभा में भेजा लेकिन बाद में उन्होंने वहां से भी इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस ज्वाइन कर ली।
2017 में सिद्धू कांग्रेस के टिकट पर अमृतसर वेस्ट से चुनाव जीते। कैबिनेट में उन्हें नंबर तीन का स्थान मिला। 2019 के लोकसभा चुनाव में पहले सिद्धू की मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ अनबन शुरू हो गई। चुनाव के बाद जब मुख्यमंत्री ने मंत्रियों के विभाग में बदलाव किया तो इससे नाराज हो सिद्धू ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।
अब जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, सिद्धू ने पटियाला सीट पर अपनी सक्रियता बढ़ानी शुरू कर दी है। बीते 15 वर्ष में ऐसा कभी भी नहीं हुआ। ऐसे में यह राजनीतिक कयास लगाए जा रहे है कि क्या सिद्धू कांग्रेस छोड़कर किसी अन्य पार्टी से 2022 में मुख्यमंत्री को पटियाला में चुनौती देने की तैयारी में हैं?
यह भी कहा जा रहा है कि सिद्धू द्वारा पटियाला में सक्रियता बढ़ाना इस रणनीति का हिस्सा हो सकता है कि अगर 2022 तक कांग्रेस में स्थिति उनके मन मुताबिक न बने तो पटियाला से कैप्टन को सीधी चुनौती दी जा सके।
पटियाला की सियासत में राजघराने का वर्चस्व
पटियाला विधानसभा व लोकसभा सीटें हैं। दोनों पर ही कैप्टन परिवार का वर्चस्व रहा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह की माता मोहिंदर कौर ने 1967 में पटियाला लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। कैप्टन की पत्नी परणीत कौर भी इस सीट से तीन बार लोकसभा पहुंची हैं। हालांकि इसी सीट पर 1977 और 1998 के लोकसभा चुनाव में कैप्टन की शिकस्त भी हुई थी। वहीं पटियाला विधानसभा सीट पर कैप्टन लगातार चार बार से जीतते चले आ रहे हैं।