सत्ता के गलियारे से: नवजोत सिंह सिद्धू की सुखबीर बादल को चुनौती से 'संन्यास' चर्चा में, पढ़ें पंजाब की और भी रोचक खबरें
नवजोत सिंह सिद्धू ने सुखबीर सिंह बादल को चुनौती दी है कि अगर वह साबित कर लें कि उनकी बंद कमरे में डीजीपी के साथ मीटिंग हुई है तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे। आइए सत्ता के गलियारे से कालम में पढ़ते हैं कुछ ऐसी ही रोचक खबरें...
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू ने सुखबीर बादल को चुनौती दे डाली है कि वह साबित कर दें कि मैैंने ड्रग्स की रिपोर्ट को लेकर डीजीपी के साथ बंद कमरे में मीटिंग की है। साथ ही, सिद्धू ने कहा कि अगर सुखबीर ऐसा कर पाते हैं तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे। सिद्धू का यह बयान इंटरनेट मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। कई लोग कह रहे हैं कि प्रधान साहब ने बहुत बड़ी बात कर दी है तो कई का कहना है कि ऐसे संन्यास तो वह पहले भी ले चुके हैं। एक सज्जन ने तो 29 अप्रैल 2019 के उनके उस बयान को भी ट्विटर पर डाल दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर राहुल गांधी अमेठी से हार गए तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे। राहुल गांधी तो अमेठी से भाजपा नेता स्मृति ईरानी से हार गए थे, लेकिन सिद्धू ने राजनीति से संन्यास नहीं लिया।
एक और रिटायर्ड जज की नौकरी तय
आगामी विधानसभा चुनाव में यदि शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी गठबंधन जीतकर अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो गया तो हाई कोर्ट के एक और रिटायर्ड जज की नौकरी तो तय ही है। जी हां, शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने एलान किया है कि कांग्रेस सरकार ने अकाली नेताओं पर जो झूठे केस दायर किए हैं, सरकार बनने पर उनकी जांच के लिए आयोग का गठन किया जाएगा। दोषी पाए जाने वाले सभी पुलिस अफसरों को बर्खास्त किया जाएगा। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ऐसा ही एलान कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश प्रधान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी किया था। सत्ता में आते ही उन्होंने रिटा. जस्टिस मेहताब सिंह को कमीशन का चेयरमैन लगा दिया। कांग्रेसियों पर दर्ज सैकड़ों केस रद कर दिए गए थे। कैप्टन ने जस्टिस साहब को यह काम करने के बाद विजिलेंस कमीशन बनाकर उसका भी चेयरमैन नियुक्त कर दिया था।
अब तो मुखिया बनना मुश्किल है
पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू हर जगह भाषण देते हुए कह रहे हैं कि अगर लोगों ने उन्हें मौका दिया तो वह हर चीज सुधार देंगे। साफ है कि वह मुख्यमंत्री बनने की बात कर रहे हैं। नहीं तो सरकार तो उनकी पार्टी की है ही। वह जो चाहे मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को बोलकर करवा सकते हैं। हालांकि, अब सिद्धू का मुख्यमंत्री बनना मुश्किल लग रहा है, क्योंकि उनके मीडिया सलाहकार जगतार ने उन्हें लौह पुरुष बता दिया है। जी हां, देश भर में यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि जिस नेता को भी लौह पुरुष बताया जाता है, वह सरकार का मुखिया कभी नहीं बन पाता। बात चाहे सरदार वल्लभ भाई पटेल की हो या लाल कृष्ण आडवाणी की या फिर जगदेव सिंह तलवंडी की। ये कभी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बन सके। क्या इसी फेहरिस्त में अगला नंबर सिद्धू का है, यही चर्चा अब राजनीतिक गलियारे में है।
पंजाब बचाना है या मुख्यमंत्री बनाना है...
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की हाजिर जवाबी का भी कोई तोड़ नहीं है। पिछले कई दिनों से पंजाब में पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने पर उनसे सवाल हो रहे हैं तो कई जगह पर किसी विशेष व्यक्ति को उस हलके से टिकट देने की बातें हो रही हैं। जब भी केजरीवाल भाषण देने लगते हैं तो संबंधित हलकों के समर्थक अपने नेता के हक में नारे लगाने लगते हैं, ताकि वे केजरीवाल पर दबाव बना सकें। इसके बावजूद केजरीवाल हर बार यह कहकर उनका उत्साह ठंडा कर देते हैं कि वे पंजाब को बचाने और सुधारने जैसे बड़े मुद्दों पर बात करें। किसको मुख्यमंत्री बनाना है और किसको टिकट देना है, इस तरह की छोटी-छोटी बातों में कार्यकर्ता न उलझें। जब भी वह इस तरह की बात करते हैं तो न भगवंत मान के समर्थक कुछ कह पाते हैं और न ही विधानसभा चुनाव टिकट के दावेदार।