Navjot Singh Sidhu ने फिर दिखाए तेवर, बोले- हाईकमान ने सम्मान दिया, लेकिन समझौता करके कैसे आगे बढ़ेंगे
दिल्ली में वीरवार को कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ बैठक से पूर्व सिद्धू ने एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर शेयर की। इसमें उन्होंने सरकारी नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। कांग्रेस के प्रदेश प्रधान पद से इस्तीफा दे चुके नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बार फिर तेवर दिखाए हैं। वीरवार को कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ बैठक से पूर्व सिद्धू ने एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर शेयर की। इसमें उन्होंने सरकारी नीतियों पर सवाल तो खड़े किए। साथ ही, उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने सम्मान दिया है, लेकिन समझौता करके किस तरह से आगे बढ़ सकते हैं। सिद्धू ने कहा कि भ्रष्टाचार नीचे से ऊपर जाता है और ईमानदारी ऊपर से नीचे आती है।
सिद्धू के बयान से यह संकेत मिल रहे हैं कि वीरवार को पंजाब प्रभारी हरीश रावत और एस वेणुगोपाल के साथ होने वाली बैठक में वह समझौता करने के मूड में नहीं है। परोक्ष रूप से सिद्धू ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा पहली कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसले, जिसकी जमीन में रेत होगी, उसे फ्री में रेत निकालने की इजाजत दी जाएगी, का भी विरोध किया। सिद्धू ने कहा, रेत तो वह निकालेगा, जिसके जमीन में रेत होगी और उसके पास संसाधन होंगे, लेकिन खरीदने वाले को क्या यह मुफ्त मिलेगी। उन्होंने कहा कि शराब की कीमत फिक्स है। ऐसे ही रेत की भी कीमत फिक्स होनी चाहिए। सिद्धू ने इस बात पर जोर दिया कि पंजाब की समस्या का सबसे बड़ा कारण राजस्व है। माफिया पंजाब को खत्म कर रहा है।
नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि उनकी किसी के साथ निजी लड़ाई नहीं है। बात पंजाब की है। हाईकमान ने सम्मान दिया है, लेकिन समझौता करके कैसे आगे बढ़ा जा सकता है। साथ ही उन्होंने सरकार की मुफ्त देने की योजनाओं पर भी उंगली उठाई। उन्होंने कहा कि चुनाव आते है तो सरकार मुफ्त देने की घोषणा करने लगती है। आखिर यह सबकुछ साढ़े चार वर्षों में क्यों नहीं हुआ।
डीजीपी और एजी के नियुक्ति के विरोध में दिया था त्यागपत्र
बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू ने 28 सितंबर को प्रदेश प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा इकबाल प्रीत सिंह सहोता को कार्यवाहक डीजीपी और एपीएस देओल को एडवोकेट जनरल लगाने के विरोध में पद छोड़ा दिया था। सिद्धू का कहना था कि सहोता ने ही बेअदबी कांड की पहली एसआईटी को हेड किया था। इसी एसआईटी की रिपोर्ट पर दो निर्दोष सिखों को उठाया गया था। देओल ने पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी समेत उन पुलिस अधिकारियों के केस लड़े थे, जिनके नाम बेअदबी मामले में जुड़े थे। सिद्धू ने अपने ही सरकार के खिलाफ जाकर इस्तीफा दिया था। इसके कारण कांग्रेस की काफी किरकिरी हुई थी।
कांग्रेस के सामने यह बड़ी चुनौती
सिद्धू ने अभी तक अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया है। पंजाब कांग्रेस का एक बहुत बड़ा वर्ग यह नहीं चाहता कि सिद्धू बतौर प्रधान अपना कामकाज आगे बढ़ाएं। वहीं, कांग्रेस की परेशानी है कि 2022 के चुनाव सिर पर आ गए हैं, उसे फिर से नए प्रधान को ढूंढने की कवायद शुरू करनी पड़ेगी।
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