Politics On Kisan Andolan: बादल पिता-पुत्र पर जमकर बरसे नवजोत सिद्धू, कहा- कृषि कानूनों की नींव बादलों ने रखी, यही हैं किसानों के असली गुनहगार

Politics On Kisan Andolan पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल और उनके पुत्र व शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल पर हमले किए। उन्‍होंने कहा कि कृषि कानूनों की नींव बादलों ने ही रखी। ये किसानों के गुनहगार हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 02:41 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 02:29 PM (IST)
Politics On Kisan Andolan: बादल पिता-पुत्र पर जमकर बरसे नवजोत सिद्धू, कहा- कृषि कानूनों की नींव बादलों ने रखी, यही हैं किसानों के असली गुनहगार
पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू चंडीगढ़ में पत्रकारों से बात करते हुए। (जागरण)

चंडीगढ़, राज्‍य ब्‍यूरो। Politics On Kisan Andolan: पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष एक अरसे बाद आज मीडिया से रूबरू हुए। उन्‍होंने शिरोमणि अकाली दल और बादल पिता-पुत्र पूर्व मुख्‍यमंतत्री प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल पर हमला किया । सिद्धू ने कहा, डंके की चोट पर कहता हूं कि तीन कृषि सुधार काले कानून की नींव बादलों ने रखी। वही इसके नीति निर्माता हैं। ये किसानों के गुनाहगार है।

लंबे अरसे बाद मीडिया से रूबरू हुए पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू

सिद्धू ने कहा‍ कि पर्दे के पीछे सारा गेम बादलों ने ही चली। इन्हीं का आईडिया था। पहले पंजाब में लागू किया फिर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी से लागू करवाया। उन्‍होंने कहा कि बादल 2013 में कांट्रेक्ट एक्ट लेकर आए। तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पंजाब कांट्रेक्ट बिल 2013 पेश किया। यही कानून तीन कृषि कानून में से एक है। इसमें कोई MSP की बात नहीं की गई। 108 फसलों का शेड्यूल लगाया गया, जिसे एक्ट से जोड़ लिया। दो एमएसपी वाली फसलें भी शामिल की गईं, ताकि एमएसपी से कम पर फसल खरीदी जा सकें।

चंडीगढ़ में मीडिया से बातचीत करते पंजाब कांग्रेस अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू। (जागरण)

 सिद्धू ने कहा कि असल में यही नाखून और मांस का रिश्ता भाजपा और शिरोमणि अकाली दल में है। किसानों से अदालत जाने का हक़ इस एक्ट में छीन लिया गया। संविधान फाड़ने वालों ने संविधान का उल्लंघन भी किया। किसान की ओर कोई पैसा खड़ा है तो उसकी फर्द में दर्ज होगा। किसान का कोई विवाद है तो वह इसमें शामिल नहीं किया। किसान डिफॉल्ट करता है तो उसे एक महीने की सज़ा का प्रवधान है। केंद्र ने इन्हीं की कॉपी मारी है। किसानों को मारने की शुरुआत इन बादलों ने की है।

उन्‍होंने कहा कि बादलों द्वारा लाए गए कानून में कोई एमएसपी की गारंटी नहीं थी। किसान का डिस्प्यूट है तो किसान अपनी जमीन नहीं बेच सकता। किसान रजिस्टर्ड होगा। यही केंद्र के कानून में है।  अकालियों ने किसानाें को ग़ुलाम बनाने की कोशिश की है। इस कानून के अनुसार सेल सीधी किसानों के खेत से खरीदी जाएगी। इसीलिए अकाली तीन खेती कानूनों के सोहले गाते थे।  अफसरों को सेक्शन 32 में छत्र छाय दे दी। पेनल्टी में बादल आगे निकल गए। उनके द्वारा बनाए कानून में 5 हज़ार से 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रविधान है। प्राइस एश्योरेंस केवल कारपोरेट घरानों के लिए है।  किसानों को मिनिमम स्पोर्ट प्राइस भी नहीं देते और अडानी को सौ फीसदी स्पोर्ट प्राइस देते हैं। 

उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई तो सुखबीर बादल ने केंद्रीय कृषि कानूनों का समर्थन किया और उसे किसानों के पक्ष में बताया। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के भी इन कानूनों की प्रशंसा की। प्रकाश सिंह बादल ने पिछले साल 3 सितंबर को वीडियो अपलोड किया। पिछले साल 7 सितंबर को हरसिमरत कौर ने कहा कि मैं नहीं किसान खिलाफ हैं। मंत्री पद से इस्तीफा दिया तो हरसिमरत कहा कि यह एनडीए से इस्‍तीफा नहीं है । फिर ये अकाली पिछले 26 सितंबर को एनडीए से बाहर आ गए।

नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि 2007 में बादल सरकार कर्ज़ सेटलमेंट एक्ट लाए। इसमें कहा जिला और राज्‍य स्‍तर पर बोर्ड बनेगा, लेकिन 2016 तक कोई बोर्ड नहीं बनाया। ऐसा सिर्फ किसानों की आंखों में धूल झोंकने के लिए किया गया। इन लोगों ने 1 .17 करोड़ का विज्ञापन दे दिया, लेकिन किसानों को राहत के लिए एक पैसा  नहीं दिया। 

सिद्धू ने कहा कि अब जब बादल ये समझ गए कि किसान हमारे खिलाफ हैं तो मोदी के खिलाफ चले गए हैं। सिद्धू ने पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह की तारीफ की। उन्‍होंने कहा कि डा. मनमोहन सिंह ने किसानों का 78 हज़ार करोड़ कर्ज़ माफ किया। एमएसपी, फ़ूड सिक्‍योरिटी एक्ट और पीडीएस कांग्रेस की देन है। शांता कुमार की रिपोर्ट है कि पीडीएस (PDS) को 67 फीसदी से कम करके 40 फीसदी तक लाया जाए। अगले पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद ये (अकाली) फिर मोदी के पास चले जाएंगे।

दोनों कानूनों का एक-एक बिंदू पढ़ते हुए सिद्धू ने कहा कि दोनों कानूनों में एमएसपी की गारंटी नहीं है। पंजाब के कानून की एक उपधारा में 108 फसलों को रखा गया जिसमें धान और गेहूं भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि दोनों कानूनों में किसान को अदालत में जाने की छूट नहीं है। वह केवल एसडीएम के पास अपील कर सकता है। अगर किसान कांट्रेक्ट के मुताबिक फसल देने से इन्कार करता है तो इसे उसके लैंड रिकार्ड में शामिल कर दिया जाएगा। पंजाब के एक्ट में 5000 से लेकर पांच लाख रुपये तक जुर्माने और जेल का प्रविधान भी है जो केंद्र के कानून में नहीं है।

सिद्धू ने कहा कि सबसे दिलचस्प बात यह है कि बादलों का मंडियों को खत्म करने का इरादा था। क्योंकि, कानून के अनुसार फसल का खरीददार ही किसानों को बीज, मशीनरी, खाद और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध करवाएगा। फसल की खरीद किसानों के खेत से की जाएगी और इसे मंडियों में लाने की जरूरत नहीं है।

कैप्टन पर टिप्पणी से इन्कार, अधिकतर सवालों के जवाब में कहा, 'नो कमेंट'

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से दो दिन पहले होशियारपुर में कृषि कानूनों के विरोध में बड़े कारपोरेट घरानों के संस्थानों के समक्ष धरना देने वाले किसानों को हटने के लिए की गई अपील पर सिद्धू ने कोई भी टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया। वहीं अधिकतर सवालों के जवाब 'नो कमेंट' कहते हुए दिए। गौरतलब है कि कैप्टन ने होशियारपुर में कहा था कि किसानों के धरनों से पंजाब की आर्थिक स्थिति को नुकसान हो रहा है। कैप्टन के इस बयान का विपक्षी पार्टियों और किसानों ने विरोध किया था परंतु सिद्धू ने कैप्टन के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की।

chat bot
आपका साथी