डॉक्टरों के साथ हिंसा के खिलाफ देशव्यापी विरोध में चंडीगढ़ में भी प्रदर्शन, डॉक्टर्स बोले- Save The Savior

आइएमए चंडीगढ़ के सचिव डॉ. नितिन माथुर ने कहा कि उपद्रवियों को रोकने के लिए गैर जमानती कानून बनाया जाए। कथित लापरवाही से निपटने के लिए पर्याप्त कानून हैं। हिंसा कोई समाधान नहीं है। देश में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं दुनिया में सबसे ज्यादा हैं।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 04:05 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 04:05 PM (IST)
डॉक्टरों के साथ हिंसा के खिलाफ देशव्यापी विरोध में चंडीगढ़ में भी प्रदर्शन, डॉक्टर्स बोले- Save The Savior
डॉक्टरों के साथ हिंसा के खिलाफ देशव्यापी विरोध में चंडीगढ़ में भी हुआ प्रदर्शन।

चंडीगढ़, जेएनएन। डॉक्टरों पर मरीजों और उनके रिश्तेदारों द्वारा शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक हमले बढते जा रहे हैं, जिससे चिकित्सा फटर्निटी में अत्याधिक तनाव पैदा हो रहा है। हिंसा के डर से युवा डॉक्टर आपात स्थिति और गंभीर रोगियों के इलाज करने से डरते हैं। ऐसे में आपातकालीन और गंभीर रोगियों को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लगातार केंद्रीय हिंसा अधिनियम के साथ आइपीसी और अधिनियम के तहत सीआरपीसी प्रावधानों की मांग कर रहा है। कुछ राज्यों ने इस अधिनियम को प्रख्यापित किया है, लेकिन यह दंतहीन और अप्रभावी है। 

आइएमए चंडीगढ़ के अध्यक्ष डॉ. वी कप्पल ने कहा कि हमने माननीय प्रधानमंत्री को एक मेमोरेंडम लिखा है, जिसमें उन्होंने इस कानून को लागू करने का आग्रह किया है। चंडीगढ़ में डॉक्टर भी इस महामारी के समय में काले बैज के साथ और जन जागरूकता के माध्यम से प्रतीकात्मक रूप से विरोध कर रहे हैं। क्योंकि स्वास्थ्य सेवाओं में हम कोई व्यवधान नहीं चाहते हैं। निजी क्षेत्र विशेष रूप से छोटे और मध्यम स्वास्थ्य प्रतिष्ठान देश भर के नागरिकों को 75 फीसद सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। अधिकांश मामलों में उन्हें हिंसा का शिकार होना पड़ता है। 

आइएमए चंडीगढ़ के सचिव डॉ. नितिन माथुर ने कहा कि उपद्रवियों को रोकने के लिए गैर जमानती कानून बनाया जाए। कथित लापरवाही से निपटने के लिए पर्याप्त कानून हैं। हिंसा कोई समाधान नहीं है। पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. आरएस बेदी ने कहा कि भारत में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। 

निजी क्षेत्र, सरकारी संस्थानों और कॉर्रपोरेट क्षेत्र के डॉक्टरों ने लोगों को जागरूक करने के लिए आइएमए हाउस में प्रदर्शन किया और सरकार से इस कानून को जल्द से जल्द लागू करने का आग्रह किया। डॉक्टरों ने अपने 700 से अधिक सहयोगियों को भी श्रद्धांजलि दी, जो महामारी की दूसरी लहर के दौरान मारे गए हैं।

डॉक्टरों ने इस बात की निंदा की कि रामदेव, एक योग प्रशिक्षक, सार्वजनिक डोमेन में पर्याप्त अनुयायी और अपने व्यापारिक भाग्य में निहित स्वार्थ रखते हुए, हमारे साक्ष्य आधारित आधुनिक चिकित्सा पेशेवरों पर तीखी भाषा से तंज का विकल्प चुनते हैं, जब देश एक महामारी के दौर से गुजर रहा है। भ्रम पैदा करने, लोगों को गुमराह करने और वैक्सीन और उपचार प्रोटोकॉल के बारे में गलत सूचना फैलाने के लिए महामारी अधिनियम के तहत रामदेव से निपटा जाना चाहिए।

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