पुरखों से मिला है संगीत का आशीर्वाद, इसी के सहारे जीवन जी रहा हूं : अकरम खान
अजराडा घराने के वरिष्ठ तबला वादक अकरम खान ने अपने पिता उस्ताद हशमत अली खान से इसकी बारीकियां सीखी। उन्होंने नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला द्वारा आयोजित एक माह की ऑनलाइन वर्कशॉप के तहत रूबरू सेशन में हिस्सा लिया।
चंडीगढ़, [शंकर सिंह]। संगीत पुरखों से मिला है। ये आशीर्वाद है, जिसके सहारे जीवन जी रहा हूं। पुरखों से अजराडा घराने की संस्कृति भी मिली। जिसे नई पीढ़ी को सिखाने के लिए अकादमी भी शुरू की है। ताकि नई पीढ़ी भी पुरखों के इस आशीर्वाद को सीख सकें। अजराडा घराने से जुड़े तबला वादक अकरम खान कुछ इन्हीं शब्दों में तबला वादन से जुड़ी अपनी शिक्षा पर बात करते हैं। नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर, पटियाला द्वारा आयोजित एक माह की ऑनलाइन वर्कशॉप के तहत रूबरू सेशन में उन्होंने हिस्सा लिया। उनके साथ डॉ सौभाग्य वर्धन ने बात की।
अजराडा घराने के वरिष्ठ तबला वादक अकरम खान ने अपने पिता उस्ताद हशमत अली खान से इसकी बारीकियां सीखी। इन दिनों दिल्ली रह रहे खान ने अपना पूरा जीवन इस कला रूप को समर्पित कर दिया। भारत और विदेशों में बड़े पैमाने पर प्रस्तुतियां भी दी हैं। अकरम खान और उनके पिता ने अपने अनुभवों को साझा करने और गुरुश्री परम्परा के तहत कला के बेहतरीन गुणों को समझाने के उद्देश्य से अजराडा घराने की तबला अकादमी की स्थापना की। अकादमी भारत और दुनिया भर से तबला प्रेमियों को आकर्षित करती है। अपने बचपन के दौरान खान को अपने परदादा उस्ताद मोहम्मद शफी खान और उस्ताद नियाजु खान के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
नई पीढ़ी को सही निर्देशन की जरूरत
खान ने कहा कि नई पीढ़ी को हम बेवजह बुरा कहते हैं। जबकि वह हर चीज को नए नजरिए से देखती है। मैं भी लंबे समय से नई पीढ़ी से जुड़ा हूं। मेरे अनुसार उन्हें सही निर्देशन मिले, तो हम उन्हें हर क्षेत्र में बेहतर करते हुए देख सकते हैं। आज के समय में युवा पीढ़ी के पास कई चीजें हैं, ऐसे में उनके दिमाग में भटकाव और जल्दबाजी जरूर होती है। मगर उन्हें सही दिशा दिखाने से वह हर क्षेत्र में बेहतर कर सकते हैं। आखिरकार नई पीढ़ी ही हमारा भविष्य है।
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