चंडीगढ़ में मुनि विनय कुमार आलोक बोले- इंसान को तरक्की करनी है तो पहले खुद को विशाल करें

नि विनय कुमार आलाेक ने अणुव्रत भवन सेक्टर-24 में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यदि समाज में आगे बढ़ना है तो जरूरी है कि खुद की सोच को विशाल करें। समाज के हर नियम को खुद के अंदर समाने की कोशिश करें।

By Ankesh KumarEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 01:53 PM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 01:53 PM (IST)
चंडीगढ़ में मुनि विनय कुमार आलोक बोले- इंसान को तरक्की करनी है तो पहले खुद को विशाल करें
मुनि विनय कुमार आलोक की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, जेएनएन। संसार मे हर वस्तु गतिशील है, जैसे घड़ी की सूइयां घड़ी टिक टिक करके आगे बढ़ती हैं, इसी प्रकार से हमारा जीवन भी चलता रहता है। जो जीवन की गति के साथ आगे बढ़ गया वह सफल हो जाता है और जो नहीं चलता वह हमेशा सोच-विचार करता हुआ उसी स्थान पर रह जाता है। यदि समाज में आगे बढ़ना है तो जरूरी है कि खुद की सोच को विशाल करें। समाज के हर नियम को खुद के अंदर समाने की कोशिश करें। यह शब्द मुनि विनय कुमार आलाेक ने अणुव्रत भवन सेक्टर-24 में जनसभा को संबोधित करते हुए कहे।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए जरूरी है कि वह खुद के अभिमान को छोड़ दे। जब तक इंसान के अंदर अभिमान बैठा रहेगा उस समय तक वह आगे बढ़ने के लिए किसी से बात करने और झुकने के लिए तैयार नहीं होता। हमें खुद के अहम को छोड़कर बालक का भाव रखना चाहिए। जब हमारे अंदर बच्चे जैसी सोच और समझ होगी तो हम सीखने की कोशिश करेंगे और सफल भी हो जाएंगे।

मुनि विनय कुमार ने कहा कि बाहरी परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, उसके बावजूद भी अगर आप अपने अंदर से हमेशा प्रसन्न् और आनन्द में रहते हैं, तो आप आध्यात्मिक हैं। अगर आपको इस सृष्टि की विशालता के सामने खुद के नगण्य और क्षुद्र होने का एहसास बना रहता है तो आप आध्यात्मिक बन रहे हैं। आपके पास अभी जो कुछ भी है, उसके लिए अगर आप सृष्टि या किसी परम सत्ता के प्रति कृतज्ञता महसूस करते हैं तो आप आध्यात्मिकता की ओर बढ़ रहे हैं। अगर आपमें केवल स्वजनों के प्रीति ही नहीं, बल्कि सभी लोगों के लिए प्रेम उमड़ता है, तो आप आध्यात्मिक हैं। आपके अंदर अगर सृष्टि के सभी प्राणियों के लिए करुणा फूट रही है, तो आप आध्यात्मिक हैं।

आध्यात्मिक होने का अर्थ है कि आप अपने अनुभव के धरातल पर जानते हैं कि मैं स्वयं अपने आनन्द का स्रोत हूं। आध्यात्मिकता कोई ऐसी चीज नहीं है जो आप मंदिर, मस्जिद, या चर्च में करते हैं। यह केवल आपके अंदर ही घटित हो सकती है। आध्यात्मिक प्रक्रिया ऊपर या नीचे देखने के बारे में नहीं है। यह अपने अंदर तलाशने के बारे में है। आध्यात्मिकता की बातें करना या उसका दिखावा करने से कोई फायदा नहीं है। यह तो खुद के रूपांतरण के लिए है। आध्यात्मिक प्रक्रिया मरे हुए या मर रहे लोगों के लिए नहीं है। यह उनके लिए है जो जीवन के हर आयाम को पूरी जीवंतता में जीना चाहते हैं।

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