चंडीगढ़ के पंजाब कला भवन में मोहाली का सरघी कला केंद्र करेगा 'जोर लगाके हईशा' नाटक का मंचन

चंडीगढ़ के पंजाब कला भवन सेक्टर 16 में शनिवार को मोहाली का सरघी कला केंद्र नाटक का मंचन करेगा। इस नाटक का नाम जोर लगाके हईशा है। नाटक में पंजाब की विरासत को कमजोर करने वाले कारकों पर तंज कसा जाएगा।

By Ankesh KumarEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 05:14 PM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 05:14 PM (IST)
चंडीगढ़ के पंजाब कला भवन में मोहाली का सरघी कला केंद्र करेगा 'जोर लगाके हईशा' नाटक का मंचन
जोर लगाके हईशा नाटक के बारे में जानकारी देते मोहाली सरघी कला केंद्र के सदस्य।

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब की लोक संस्कृति और विरासत काफी अमीर है, लेकिन इस समय अनेक पहलू ऐसे हैं जो कि उसकी जड़ों को कमजोर कर रहे हैं। विरासत को कमजोर करने वाले कारकों पर तंज कसते हुए मोहाली का सरघी कला केंद्र नाटक जोर लगाके हईशा का मंचन करेगा।

नाटक पंजाब कला भवन सेक्टर-16 में 27 फरवरी को आयोजित होगा। नाटक की शुरुआत पंजाबी संगीत से होगी। नाटक का मंचन की शुरुआत में एक म्यूजिक स्टूडियो दिखाया जाएगा, जहां पर एक लोक गायक खुद के काम को लेकर पहुंचता है और उसकी वीडियो बनाकर चलाना चाहता है। म्यूजिक स्टूडियो का डायरेक्टर जब लोक गायक के परिवार के बारे में जानता है, तो वह उसे मना कर देता है। क्योंकि वह लोक गायक एक साधारण परिवार से है, जो कि पंजाबी संस्कृति को दिखाते हुए वीडियो को ही बनाना चाहता है और उसके पास ज्यादा पैसे भी नहीं हैं। इससे वह गीत की प्रमोशन कर सके।

वहीं नाटक के दूसरे भाग में उसी स्टूडियो को दोबारा दिखाया जाता है, जिसमें एक विदेश से आए हुए एनआरआइ को दिखाया जाता है। उसके पास सुर-संगीत की कोई जानकारी नहीं है लेकिन पैसा है। उसी पैसे के दम पर वह गीत को लांच करना चाहता है और म्यूजिक स्टूडियो का डायरेक्टर हामी भी भर देता है।

नाटक जोर लगाके हईशा को लेखक संजीवन सिंह ने लिखा और निर्देशित किया है। नाटक के बारे में संजीवन ने बताया कि हमारा प्रयास पंजाब की संस्कृति को बचाना और उसके बारे में लोगों को जागरूक करना है। पंजाबी संस्कृति और जट्ट होने के नाम पर हर कोई हमदर्दी पाना चाहता है, लेकिन उन्हें उसका खुद को ही पता नहीं होता। वहीं कई म्यूजिक स्टूडियो ऐसे हैं जो कि जो वीडियो को बना देते हैं, जिसके बाद पंजाबी संगीत और संस्कृति चारों तरफ बदनाम हो रही है।

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