जाली डिग्री डिप्लोमा सर्टिफिकेट बनाकर देता था मोहाली के गांव का सरपंच, 186 जाली डिग्री सहित गिरफ्तार
एसएसपी मोहाली सतिंदर सिंह ने इस गंभीरता को देखते हुए इस मामले में एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी में एसपी (रुरल) रवजोत कौर ग्रेवाल डीएसपी अमरोज सिंह डीएसपी गुरप्रीत सिंह बैंस एसएचओ जीरकपुर ओंकार सिंह बराड़ व सब इंस्पेक्टर सुनील कुमार शामिल थे।
मोहाली, जेएनएन। कम पढ़े लिखे लोगों से मोटी रकम वसूल कर उनके आईडी प्रूफ पर उन्हें ग्रेजुऐएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और डिप्लोमा के जाली सर्टिफिकेट तैयार करके देने वाले गिरोह के दो और सदस्यों को जीरकपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपितों में गांव टोडरमाजरा का मौजूदा सरपंच और मालेरकोटला का एक अधिकारी भी शामिल है। उन्हें 186 जाली डिग्रियों सहित गिरफ्तार किया है। इससे पहले 26 जनवरी को जीरकपुर पुसिल ने इसी गैंग के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया था।
एसएसपी मोहाली सतिंदर सिंह ने इस गंभीरता को देखते हुए इस मामले में एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी में एसपी (रुरल) रवजोत कौर ग्रेवाल, डीएसपी अमरोज सिंह, डीएसपी गुरप्रीत सिंह बैंस, एसएचओ जीरकपुर ओंकार सिंह बराड़ व सब इंस्पेक्टर सुनील कुमार शामिल थे। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान सर्बजीत सिंह निवासी गांव टोडरमाजरा (मौजूदा सरपंच) व सुरिंदर कुमार सिंगला निवासी मलेरकोटला के रुप में हुई है। दोनों को मामले में पहले गिरफ्तार हो चुके गैंग के किंग पिन निर्मल सिंह उर्फ निम्मा निवासी गांव करतारपुर मुल्लांपुर की निशानदेही पर गिरफ्तार किया गया है। एसएचओ ओंकार सिंह बराड़ ने बताया कि दोनों आरोपितों को कोर्ट में पेश किया गया जहां अदालत ने उन्हें दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है।
सरपंच होने की आड़ में चला रहा था गोरखधंधा
पूछताछ के दौरान यह बात सामने आई है कि सर्बजीत सिंह गांव टोडरमाजरा का मौजूदा सरपंच होने की आड़ में जाली डिग्री (सर्टीफिकेट) बनाता था। वह समाज में अच्छा रसूख रखता था पर असलियत कुछ और ही निकली। सर्बजीत लोगों को पिछले कई सालों से अलग-अलग डिप्लोमा व डिग्री के जाली सर्टिफिकेट बनाकर दे रहा था। उसने काउंसिल ऑफ पैरामेडिकल नाम की एक जाली संस्था बनाई हुई थी और इसका दफ्तर फेज-5 में खोला हुआ था।
सुरिंदर सिंगला ढूंढ़कर लाता था ग्राहक
पूछताछ में इस बात का भी खुलासा हुआ कि मालेरकोटला में क्लीनिकल लैब चलाने वाला सुरिंदर कुमार अलग-अलग जगहों से व्यक्तियों को झांसा देकर सर्बजीत सिंह के पास भेजता था। सर्बजीत सिंह दावा करता था कि जो सर्टीफिकेट उन्हें दिया जाएगा वह काउंसिल पंजाब सरकार से मान्यता प्राप्त होगा। इस तरह कई टेक्नीशियन जिन्होंने लैब टैक्नीशियन इत्यादि का कोर्स किया था इनके पास रजिस्ट्रेशन के लिए आते थे।
गांवों व कस्बों में मेडिकल लैब वालों बनते थे शिकार
सुरिंदर सिंगला ऐसे नौजवानों की तालाश करता था जो कि कोर्स या डिप्लोमा लेने के इच्छुक होते थे। वह ज्यादातर गांवों व कस्बों में मेडिकल लैब का काम करने वालों को झांसे में लेता था। उन्हें सर्बजीत के पास लेकर जाया जाता था। सरपंच होने के नाते लोग सर्बजीत पर विश्वास कर लेते थे। वह लोगों से कहता था कि सभी सर्टिफिकेट काउंसिल ऑफ पैरामैडिकल में रजिस्टर्ड करवाकर दिए जाएंगे। इस गैंग ने अब तक हजारों नौजवानों को झांसे में लेकर जाली सर्टिफिकेट बेचकर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की है।
इनके दिए जाली सर्टिफिकेट
अब तक की जांच में सामने आया है कि आरोपित अब तक हजारों नौजवानों को डीएमआईटी, ओटीटी, बीएएमएस, बीपीटी, ईसीजी (एक्स-रे टेक्नीशियन), आरएमपी, सीएमएस एंड ईडी, बीए, आईटीआई इत्यादि कोर्सों के जाली सर्टीफिकेट बनाकर दे चुके हैं।