उत्तर भारत के शैक्षिक केंद्र के रूप में उभरा मोहाली : तेजवीर सिंह

राष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक संस्थानों की उपस्थिति के साथ मोहाली उच्च शिक्षा के विकास में उत्तर भारत के शैक्षिक केंद्र के रूप में उभरा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 10:59 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 10:59 PM (IST)
उत्तर भारत के शैक्षिक केंद्र के रूप में उभरा मोहाली : तेजवीर सिंह
उत्तर भारत के शैक्षिक केंद्र के रूप में उभरा मोहाली : तेजवीर सिंह

जागरण संवाददाता, मोहाली : राष्ट्रीय स्तर के शैक्षणिक संस्थानों की उपस्थिति के साथ मोहाली उच्च शिक्षा के विकास में उत्तर भारत के शैक्षिक केंद्र के रूप में उभरा है। 27.1 प्रतिशत के उच्च शिक्षा में भारत के औसत एनरोलमेंट अनुपात की तुलना में पंजाब की उच्च शिक्षा तक पहुंच 30 प्रतिशत है, जो साबित करता है कि पंजाब शिक्षा के विकास के साथ अच्छी प्रगति कर रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव तेजवीर सिंह (आइएएस) ने विश्व स्तरीय रैंकिग जारी करने वाली संस्था क्यूएस आइगेज ने इंटरनेशनल काफ्रेंस के दौरान यह बात कही। रिडिफाइंनिग इंस्टीट्यूशनल स्ट्रेटजी फॉर एक्सीलेंस (राइज) विषय पर आयोजित कांफ्रेंस में विभिन्न नेशनल और इंटरनेशनल हस्तियों ने पंजाब राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों को राज्य में शिक्षा की वर्तमान स्थिति और अन्य दीर्घकालिक सुधारों पर विचार-चर्चा की। कार्यक्रम में देश-विदेश के शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधियों सहित शिक्षाविद, शिक्षक, विशेषज्ञ और बड़ी संख्या में छात्र शामिल हुए। तेजवीर सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 शिक्षा की गुणवत्ता और समग्र नामांकन अनुपात में सुधार के लिए भारतीय शिक्षा क्षेत्र को एक रोडमैप प्रदान कर रही है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधू के अलावा चितकारा यूनिवर्सिटी की चांसलर डा. मधु चितकारा, जैक के चेयरमैन डा. गुरमीत सिंह धालीवाल, ज्वाइंट एसोसिएशन ऑफ कॉलेजिज के अध्यक्ष जगजीत सिंह धुरी, ईपीएसआइ के अल्टरनेट प्रेसिडेंट डा. हरिवंश चतुर्वेदी और जर्मनी से प्रो. हेक शिनबर्ग शामिल रहे। उन्होंने कहा कि शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए हमें अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। शैक्षणिक संस्थानों को गुणवत्ता शिक्षण मॉडल को विकसित करने के लिए नेशनल और इंटरनेशनल क्यूएस और टाइज जैसी विभिन्न रैंकिग स्थानीय संस्थानों को वैश्विक स्तर पर एक-दूसरे से जोड़ती है। इसके अतिरिक्त पंजाब में शैक्षणिक क्षेत्र के विकास के लिए कैंपस का वातावरण, पाठ्यक्रम, अध्यापन मॉडल, गुणवत्ता, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के लिए संस्थानों को एक-दूसरे से सीखना होगा। डा. अश्विन फर्नाडीस ने कहा कि पंजाब भारत का उभरता शैक्षणिक हब है, जहां 10 लाख स्टूडेंट्स उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और दुनियाभर के 4500 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। सतनाम सिंह संधू ने कहा कि कांफ्रेंस को राज्य भर के शैक्षणिक संस्थानों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। महत्वपूर्ण सेशन में पंजाब सरकार की भागीदारी राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधारों की गंभीरता को दर्शाती है। मधु चितकारा ने कहा कि एनईपी-2020 के साथ शैक्षणिक क्षेत्र एक आशा के रूप में उभरा है, जहां संकट की परिस्थितियां हमें नई संभावनाओं के साथ अपनी रणनीतिक प्रयासों को लागू करते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करनी होगी। उन्होंने कहा कि फैकल्टी शिक्षा जगत की रीढ़ है तथा शिक्षण संस्थानों को भविष्य की मांग के अनुसार पाठ्यक्रम को अपनाना चाहिए। गुरमीत सिंह धालीवाल ने कहा कि शिक्षा समाज के कल्याण का आधार है और भारत के तक्षशिला, विक्रमशिला और नालंदा विश्वविद्यालय भारत के प्राचीन शैक्षणिक समृद्धि को दर्शाते हैं। इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।

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