सारागढ़ी जंग के नायक ईशर सिंह व अन्य जवानों के गांवों में बनेगी यादगार

एेतिहासिक सारागढ़ी के युद्ध में शहीद हुए 36वीं सिख रेजिमेंट के हवलदार ईशर सिंह और अन्‍य जवानों के गांवों में स्‍मारक बनाए जाएंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 12 Sep 2018 11:49 AM (IST) Updated:Wed, 12 Sep 2018 11:49 AM (IST)
सारागढ़ी जंग के नायक ईशर सिंह व अन्य जवानों के गांवों में बनेगी यादगार
सारागढ़ी जंग के नायक ईशर सिंह व अन्य जवानों के गांवों में बनेगी यादगार

जेएनएन, चंडीगढ़। ऐतिहासिक सारागढ़ी जंग के नायक ईशर सिंह और अन्‍य जवानों की याद में उनके गांवों में स्‍मारक बनाए जाएंगे। पंजाब सरकार ने युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने के लिए यह कदम उठाने का फैसला किया है। मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि सारागढ़ी युद्ध में जाबांजों के कारनामे से युवाओं को प्रेरित करने के लिए सरकार ईशर सिंह को समर्पित बड़ा स्‍मारक उनके गांव में बनाएगी

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ऐतिहासिक सारागढ़ी जंग के नायकों को श्रद्धांजलि दी। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार सारागढ़ी की जंग में हिस्सा लेने वाले 36वीं सिख रेजिमेंट के हवलदार ईशर सिंह की याद में लुधियाना के रायकोट के झोरड़ां गांव में 10 बिस्तरों का मिनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बना रही है।

उन्‍होंने कहा कि गांव झोरड़ां में ईशर सिंह को समर्पित बड़ी यादगार भी बनाई जाएगी। इससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी अौर वे देश की सेवा के लिए आगे आएंगे। कैप्‍टन ने कहा कि इसके अलावा सारागढ़ी युद्ध में शहीद हुए अन्य फौजियों को समर्पित स्‍मारक भी उनके गांवों में बनाई जाएंगे। मुख्यमंत्री ने इन बहादुर सैनिकों के बलिदान से नौजवानों को प्रेरणा लेने व सेना में शामिल होने की अपील की।

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उन्होंने कहा कि हमें इन जवानों की बहादुरी व साहस से सीख लेनी चाहिए। इन जवानों का बलिदान सेना के इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा। हमें सारागढ़ी की ऐतिहासिक जंग के बारे में युवाओं को जानकारी देनी चाहिए, जिसमें 21 सैनिकों ने अदम्य साहस दिखाया।

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कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इन 21 सैनिकों ने आत्मसमर्पण करने की जगह वीरता दिखाते हुए दुश्‍मनों स लोहा लिया अौर शहादत को कबूल किया। यह देश और पंजाब के गौरव की गाथा है। गाैरतलब है कि 12 सितंबर, 1897 को नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर पर बनी सारागढ़ी चौकी पर 10 हजार अफगानों ने हमला कर दिया था। 36वीं सिख रेजिमेंट के 21 जवानों ने युद्ध में वीरगति पाई थी। 600 से अधिक अफगानों को मौत के घाट उतार दिया था।

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