दिवाली से पहले निगम का दिवाला, वित्त मंत्री के सामने रोना रोएंगे मेयर और काउंसलर Chandigarh News

निगम के पास फंड न होने के कारण कोई भी नया काम शुरू नहीं किया जा रहा। मेयर राजेश कालिया ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलने का समय मांगा है।

By Edited By: Publish:Sat, 19 Oct 2019 10:36 PM (IST) Updated:Sun, 20 Oct 2019 03:50 PM (IST)
दिवाली से पहले निगम का दिवाला, वित्त मंत्री के सामने रोना रोएंगे मेयर और काउंसलर Chandigarh News
दिवाली से पहले निगम का दिवाला, वित्त मंत्री के सामने रोना रोएंगे मेयर और काउंसलर Chandigarh News

चंडीगढ़ [राजेश ढल्ल]। इस समय नगर निगम के पास वित्तीय संकट गर्माया हुआ है। ऐसे में यह कहा जाए कि एमसी दिवालिया के कगार पर है तो गलत नहीं होगा। क्योंकि फंड न होने के कारण कोई भी नया काम शुरू नहीं किया जा रहा है। ऐसे में मेयर राजेश कालिया ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पत्र लिखकर मिलने का समय मांग लिया है।

मेयर का दावा है कि वह नगर निगम के सभी पार्षदों को लेकर शाह और सीतारमण के पास जाएंगे और दिल्ली फाइनेंस कमीशन की चौथी सिफारिश के अनुसर चंडीगढ़ के लिए ग्रांट मांगेंगे। जबकि मेयर पंजाब के गवर्नर एवं प्रशासक वीपी सिंह बदनौर के समक्ष नगर निगम की वित्तीय हालत खस्ता होने का मामला कई बार उठा चुके हैं। सांसद किरण खेर को भी पता है कि एमसी की फाइनेंशियल स्थिति ठीक नहीं है। इसी कारण शहर की गड्ढों वाली सड़कों पर लोगों को मजबूर होकर गुजरना पड़ रहा है। लेकिन प्रशासन के अधिकारियों ने शहर की इस पीड़ा पर पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है। मेयर राजेश कालिया शुक्रवार को भी अतिरिक्त फंड की मांग लेकर गवर्नर हाउस गए थे।

सिर्फ 55 करोड़ रुपये तक का फंड बचा

कमिश्नर केके यादव ने सभी कामों पर रोक लगा दी है। कोई नए काम के लिए न तो टेंडर अलॉट किया जा रहा है और न ही निकाला जा रहा है। नगर निगम के पास इस समय 50 से 55 करोड़ रुपये का फंड बचा है। जिससे नगर निगम दिसंबर का वेतन कर्मचारियों को मुश्किल से ही दे पाएगा। नगर निगम का हर माह 35 करोड़ रुपये का भुगतान वेतन और पेंशन में ही जाता है। इस समय शहर के पब्लिक टॉयलेट्स की हालत भी फंड न होने के कारण सुधर नहीं पा रही है।

आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया

मालूम हो कि इस सत्र के लिए प्रशासन ने नगर निगम की 375 करोड़ रुपये की ग्रांट इन एड पास की है लेकिन खर्चा इससे दोगुना है। अकेले वेतन और पेंशन के लिए ही नगर निगम को साल की 480 करोड़ रुपये की जरूरत है। पिछले साल भी वित्तीय हालत खस्ता होने के कारण तत्कालीन मेयर देवेश मोदगिल गवर्नर से मुलाकात कर 125 करोड़ अलग से लाने में कामयाब हो गए थे लेकिन इस बार प्रशासन अतिरिक्त फंड देने के लिए तैयार नहीं है।

198 करोड़ का फंड मांगा था अतिरिक्त

मेयर राजेश कालिया ने अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के लिए प्रशासक से 198 करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड मांगा था। लेकिन प्रशासक की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। इस समय प्रशासन की ओर से नगर निगम को 13 नए गांव भी ट्रांसफर कर दिए हैं। जबकि इन गांवों के विकास के लिए कोई अतिरिक्त फंड नहीं दिया है। जब फंड ही नहीं होगा तो काम किस तरह से शुरू होंगे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मिलने का समय मांगा है। उम्मीद है कि हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव के बाद समय मिल जाएगा। वे एमसी के सभी पार्षदों को दिल्ली लेकर जाएंगे और मंत्रियों के समक्ष चंडीगढ़ के वित्तीय मुद्दे को रखा जाएगा। -राजेश कालिया, मेयर

जब से नगर निगम में भाजपा का कब्जा हुआ है तब से नगर निगम में वित्तीय संकट छाया है। जबकि इस संकट का हवाला देकर कई नए तरह के टैक्स शहरवासियों पर थोप दिए गए हैं।

-देवेंद्र सिंह बबला, कांग्रेस पार्षद  

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