कांगड़ा से आई मां जयंती की नवरात्र के बाद भी होती है पूरा साल पूजा

मां जयंती देवी बाबर राज के समय 600 साल पहले कांगड़ा की राजकुमारी के साथ हथनौर राज्य ( वर्तमान में जयंती माजरी) में आई थी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 09:50 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 09:50 PM (IST)
कांगड़ा से आई मां जयंती की नवरात्र के बाद भी होती है पूरा साल पूजा
कांगड़ा से आई मां जयंती की नवरात्र के बाद भी होती है पूरा साल पूजा

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : मां जयंती देवी बाबर राज के समय 600 साल पहले कांगड़ा की राजकुमारी के साथ हथनौर राज्य ( वर्तमान में जयंती माजरी) में आई थी। मां जयंती की पूजा नवरात्र के अलावा पूरा वर्ष भर होती है। भक्तों के लिए मां के दर्शन स्नान और श्रृंगार के समय प्रतिबंधित रहते हैं। इसके अलावा दिन चढ़ने से लेकर रात 10 बजे तक भक्त मां के दर्शन कर सकते है। मंदिर समंदर तल से करीब एक किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया है। मंदिर के आसपास गोशाला के अलावा भगवान शिव का मंदिर है। जहां पर भक्त गोसेवा करने के अलावा भगवान शिव के दर्शन भी कर सकते हैं।

इतिहास

मां जयंती 600 साल पहले कांगड़ा की राजकुमारी के साथ शादी के बाद आई थी। उस समय इस स्थान पर हथनौर राज्य हुआ करता था, जिसकी सीमा वर्तमान पंजाब के आनंदपुर साहिब से लेकर पटियाला तक होती थी। रानी के देहांत के बाद मां की पूजा डाकू गरीबदास ने शुरू की और वह राजा बना। राजा बनने के साथ ही उसने हथनौर राज्य के साथ बहती नदी पटियाला की राव के किनारे स्थापित मां जयंती को पहाड़ पर स्थापित कर दिया। जिसके बाद हर वर्ष भी श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं और मनोकामनाएं होती हैं। बाबर का राज्य खत्म होने के बाद अंग्रेजों ने राज किया और फिर राज्यों का निर्माण हुआ। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गठन के समय हथनौर राज्य का अंत होकर मोहाली, रोपड़ से लेकर पटियाला बना और हथनौर मोहाली जिले में आ गया। कोट-

मां के दर्शनों के लिए मंदिर हमेशा खुला रहता है। स्नान और श्रृंगार के समय मां के दर्शन कोई नहीं कर सकता, जिसके लिए मंदिर के कपाट बंद रखे जाते हैं। इसके अलावा कोई भी श्रद्धालु कभी भी मां के दर्शन कर सकता है।

पंडित विनोद शर्मा, पुजारी, जयंती देवी

chat bot
आपका साथी