कूड़े से 20 फीसद ग्रीन हाउस गैस के साथ 110 दिनों में तैयार हो रही खाद

घर के कूड़े को डंपिग ग्राउंड में फेंकने से कहीं ज्यादा बेहतर है कि उसे रियूज करें।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 11:50 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 11:50 PM (IST)
कूड़े से 20 फीसद ग्रीन हाउस गैस के साथ 110 दिनों में तैयार हो रही खाद
कूड़े से 20 फीसद ग्रीन हाउस गैस के साथ 110 दिनों में तैयार हो रही खाद

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़ : घर के कूड़े को डंपिग ग्राउंड में फेंकने से कहीं ज्यादा बेहतर है कि उसे रियूज करें। यही कर दिखाया पोस्ट ग्रेजुएट गवर्नमेंट कालेज फार ग‌र्ल्स सेक्टर-11 में बाटनी विभाग के एचओडी डा. विशाल शर्मा ने। उन्होंने कालेज कैंपस में इकोमैन कंपोस्टर की मशीन फूडी को स्थापित कराया है। इससे वह कालेज में जमा होने वाले कूड़े को खाद के रूप में तब्दील कर रहे हैं। इसके लिए डा. विशाल को यूनाइटेड नेशंस ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के तहत अवार्ड भी प्रदान किया गया। यह अवार्ड पाने वाले डा. विशाल देशभर से अकेले व्यक्ति हैं। अवार्ड को पाने के लिए देशभर से 114 एंट्री गई थी, जिसमें डा. विशाल का चयन हुआ।

20 फीसद गैस पैदा करता है ग्रीन हाउस

डा. विशाल ने बताया कि यदि हम कूड़े को खुले में फेंक देते हैं तो वह मीथेन और कार्बनडाईआक्साइड को पैदा करता है, जो कि में सांस और पानी के जरिए चर्म रोग को न्योता देता है। यदि हम कूड़े को खुले गड्ढे में कंपोस्ट करने का प्रयास करते हैं तो वह खुले से 60 फीसद तक विषैली हवा को जन्म देता है जो कि पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक है। इकोमैन कंपोस्टर मशीन सात दिन तक प्रति दिन आठ घंटे के लिए बिजली की खपत करती है जिसका खर्च एक हजार रुपये के करीब आता है, लेकिन ग्रीन हाउस गैस की उत्पादन क्षमता मात्र 20 फीसद तक रह जाती है और यह 110 दिन में पौधे के लिए काम करने को तैयार हो जाती है। दो वर्ष में 2250 टन पैदा कर चुके हैं खाद

डा. विशाल ने बताया कि कंपोस्टर को दिसंबर 2019 में कालेज में स्थापित किया गया था। मार्च 2020 से कालेज बंद है। इसके बावजूद जो भी पेड़ों के पत्ते या फिर कालेज कैंपस में पैदा होने वाला कूड़ा इसमें डाला जा रहा है, उससे 18 महीनों में 2250 टन खाद तैयार की जा चुकी है। डा. विशाल ने बताया कि इस खाद का इस्तेमाल करने के बाद फरवरी 2020 और 2021 में नगर निगम की तरफ से आयोजित होने वाले रोज फेस्टिवल में कालेज के फूलों को अवार्ड मिल चुका है।

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