महिला एवं बाल विकास हेल्पलाइन चंडीगढ़ के मैनेजर विक्रम ने हराया कोरोना, बोले- मेडिकल स्टाफ की देखभाल से हुआ ठीक

चंडीगढ़ में महिला एवं बाल विकास हेल्पलाइन नंबर 181 के मैनेजर विक्रम भी कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। हालांकि अब वह कोरोना को मात देकर पूरी तरह स्वस्थ हैं। उन्होंने कहा कि मिनी कोविड केयर सेंटर में मेडिकल स्टाफ की देखरेख की वजह से वह ठीक हुए हैं।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Thu, 03 Jun 2021 11:23 AM (IST) Updated:Thu, 03 Jun 2021 11:23 AM (IST)
महिला एवं बाल विकास हेल्पलाइन चंडीगढ़ के मैनेजर विक्रम ने हराया कोरोना, बोले- मेडिकल स्टाफ की देखभाल से हुआ ठीक
महिला एवं बाल विकास हेल्पलाइन चंडीगढ़ के मैनेजर विक्रम।

चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। चंडीगढ़ में महिला एवं बाल विकास हेल्पलाइन नंबर 181 के मैनेजर विक्रम भी कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। हालांकि अब वह कोरोना को मात देकर पूरी तरह स्वस्थ हैं। विक्रम ने बताया कि कोरोना को लेकर कोई डर नहीं था लेकिन जब खुद को चार दिन तक 103 डिग्री तक बुखार रहा तो शरीर टूट गया। उसके बाद कोरोना टेस्ट कराया तो पॉजिटिव आया। पहले घर में ही आइसोलेट हुआ लेकिन कमरे में अकेले रहना मुश्किल लग रहा था।

कोरोना होने के बाद मैं आठ दिनों तक घर में चुपचाप बैठा रहा और अपने काम को बेहतर करने के बारे में सोचता रहा लेकिन शरीर साथ नहीं दे रहा था। जब अस्पताल जाने का दिल बनाया तो थोड़ा डर लगा क्योंकि अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं होने के समाचार आ रहे थे। ऐसे में मैंने सेक्टर-23 स्थित मिनी कोविड केयर सेंटर में जाने का निर्णय लिया। जहां पर मुझे चार दिन तक ऑक्सीजन भी लगाई गई। जैसे ही मेरा ऑक्सीजन स्तर ठीक हुआ तो मैंने खुद के काम को वहीं से शुरू कर दिया और आठ दिनों में मुझे कोविड केयर सेंटर से छुट्टी मिल गई और मैं घर आकर वर्क फ्रॉम होम कर रहा हूं।

मेडिकल स्टाफ की देखभाल और साहस बेहतरीन

विक्रम ने बताया कि कोविड केयर सेंटर में जाकर देखा कि मरीज खुद की हिम्मत हार जाता है लेकिन मरीजों की देखभाल कर रही मेडिकल टीम कभी नहीं थकती। जब भी मेरी आंख खुलती तो अपने आस-पास मेडिकल टीम के सदस्यों को पाता। इसके साथ ही यदि मैं लंबे समय तक फोन पर बात करता या काम को लेकर स्ट्रेस लेता तो वह पहले प्यार से समझाते और यदि मैं नहीं मानता तो बड़े भाई-बहन की तरह डांट भी देते। उन्हें पता था कि मैं एक सरकारी कर्मचारी हूं लेकिन उन्होंने मुझे मरीज की तरह देखा और मुझे ठीक करने के लिए दिन-रात एक कर दिया। उस मेडिकल टीम का परिणाम है कि ठीक होकर घर आ चुका हूं।

काम की ललक ने आगे बढ़ने के लिए किया प्रेरित

विक्रम ने बताया कि कोरोना होने से शरीर टूट जाता है। लेकिन यदि आपके अंदर कुछ करने की ललक हो तो वह आपको बैठने नहीं देती और बेहतर तरीके से रिकवरी करने में मदद करती है। यही मेरे साथ हुआ। मेरे पॉजिटिव आने के बाद मेरे ऑफिस स्टाफ ने बेहतरीन तरीके से काम काे संभाला लेकिन हर समय कुछ काम को लेकर ध्यान आता रहता। मुझे विश्वास था कि मेरा स्टाफ काम संभाल लेगा लेकिन उसके बाद भी जब भी मुझे समय मिलता तो मैं फोन करके उनसे बात करता। मेरी ड्यूटी नहीं थी लेकिन मैंने काम को जारी रखा।

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