युवक का गुप्तांग काटने वाला रहम का हकदार नहीं, पंजाब के एक मामले में हाई कोर्ट की टिप्पणी

युवक को बेहोश कर उसके गुप्तांग को काटने के आरोपित की नियमित जमानत याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा आरोपित रहम का हकदार नहीं हो सकता।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 03:11 PM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 03:23 PM (IST)
युवक का गुप्तांग काटने वाला रहम का हकदार नहीं, पंजाब के एक मामले में हाई कोर्ट की टिप्पणी
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। युवक को बुलाकर उसे बेहोश कर उसके गुप्तांग काटने के आरोपित की नियमित जमानत की मांग वाली याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दी है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के कृत्य का आरोपित रहम का किसी भी स्थिति में हकदार नहीं है। याचिका दाखिल करते हुए आरोपित कुलदीप कुमार ने हाई कोर्ट को बताया कि युवक का गुप्तांग काटने के आरोप में अमृतसर पुलिस ने एफआइआर दर्ज की थी।

एफआइआर के अनुसार शिकायतकर्ता ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि वह सोनिया बाबा के संपर्क में था, जो एक ट्रांसजेंडर था। नवंबर 2018 में उसे आरोपितों ने बुलाया। जब वह पहुंचा ताे वहां पर उसे दो अन्य ट्रांसजेंडर भी मिले। इसके बाद वो उसे एक वाहन में किसी अज्ञात स्थान पर ले गए और इसमें याचिकाकर्ता ने वाहन चलाया था। वह बेहोश हो गया और जब उसे होश आया तो उसने पाया कि वह एक रेलवे क्रासिंग के पास पड़ा है। उसके परिवार के सदस्यों ने पुलिस को बुलाया और उसे अस्पताल ले गए, जहां शिकायतकर्ता को पता चला कि सोनिया बाबा और अन्य साथियों ने उसके गुप्तांग को काट दिया था।

याची ने बताया कि एफआइआर सोनिया बाबा नामक किन्नर के खिलाफ की गई थी। सोनिया के द्वारा दिए गए बयान के बाद याची का नाम एफआइआर में जोड़ा गया था। याचिकाकर्ता पिछले 01 वर्ष, 04 महीने और 02 दिनों से हिरासत में है। याची ने बताया कि सोनिया बाबा की पहले ही मौत हो चुकी है और याची पर आरोप है कि पीड़ित को जिस गाड़ी में अगवा करके उसके गुप्तांग को काटा गया था वह याची चला रहा था। याची ने बताया कि वह काफी लंबे समय से जेल में है और ऐसे में उसे नियमित जमानत का लाभ दिया जाए।

जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान की बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के गुप्तांगों को काटना बेहद गंभीर अपराध है। इस प्रकार के अपराध के आरोपी को किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि पीड़ित के एमएलआर रिपोर्ट व डाक्टर्स के बोर्ड द्वारा दी गई राय के अवलोकन से पता चलता है कि पीड़ित के गुप्तांग को काटा गया है। इस टिप्पणी के साथ ही हाई कोर्ट ने नियमित जमानत की मांग वाली याचिका को सिरे से खारिज कर दिया।

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