पंचकूला को आवारा कुत्तों से मुक्ति दिलाने की राह में कानून रोड़ा, कुत्तों को जहां से पकड़ेंगे, वहीं छोड़ना होगा

पंचकूला को स्ट्रे डॉग्स से मुक्त करने की राह में अब कानून रोड़ा साबित हो रहा है। पंचकूला से सुदर्शनपुर में बनाए गए डॉग्स कैनल हाउस में आवारा कुत्तों को नहीं रखा जा सकता बल्कि जहां से उन्हें पकड़ा जाएगा वहीं दोबारा कुत्तों को छोड़ना होगा।

By Ankesh KumarEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 11:30 AM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 11:30 AM (IST)
पंचकूला को आवारा कुत्तों से मुक्ति दिलाने की राह में कानून रोड़ा, कुत्तों को जहां से पकड़ेंगे, वहीं छोड़ना होगा
पंचकूला को आवारा कुत्तों से मुक्ति दिलाने की राह में कानून रोड़ा।

पंचकूला [राजेश मलकानियां]। शहर को आवारा कुत्तों से मुक्त करने की योजना में कानून बड़ा रोड़ा साबित हो रहा है। लगभग चार करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए डॉग कैनल हाउस में शहर के कुत्तों को किसी भी हालत में नहीं रखा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के कानून के अनुसार शहर से कुत्तों को केवल स्टरलाइजेशन के लिए ले जा सकते हैं और उसके बाद वापस होने वहीं छोड़ना होगा। केवल उन्हीं कुत्तों को पकड़ा जाएगा, जो कि लोगों को रोजाना काट रहे हैं या फिर रेबीज के शिकार हो चुके हैं।

नगर निगम के प्रशासक आरके सिंह ने भी स्पष्ट कर दिया है कि आवारा कुत्तों को किसी भी हालत में डॉग कैनल हाउस में नहीं रखा जाएगा। केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पूरी पालना की जाएगी। यदि कोई कुत्ता खूंखार हो चुका है और लोगों की जान के लिए आफत बन गया है, तो उसे मारने का भी कानून में प्रावधान है, लेकिन उस पर फैसला कमेटी द्वारा लिया जाएगा।

कमिश्नर की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी की बैठक शुक्रवार को होगी, जिसमें कानून के सभी पहलुओं पर चर्चा होगी। आरके सिंह ने कहा कि नगर निगम ने कुत्तों के उपचार की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से सुखदर्शनपुर में डॉग केयर, अस्पताल, छात्रावास, दत्तक ग्रहण और पुनर्वास केंद्र स्थापित किया है और कानून के ढांचे के भीतर कुत्तों की नसबंदी की व्यवस्था की गई है, जोकि जल्द शुरू हो जाएगी।

कमेटी के हाथ में बागडोर

प्रशासक आरके सिंह पदेन कमेटी के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा संयुक्त आयुक्त संयम गर्ग मेंबर सेक्रेटरी, सीएमओ, एनिमल हसबेंडरी विभाग के डिप्टी डायरेक्टर,  स्पेशलिस्ट वेटनरी ऑफिरसर डॉ. समीर भारद्वाज, एसपीसीए के प्रतिनिधि डॉ. राजिंद्र सिंह, एनिमल वेल्फेयर एसोसिएशन पंचकूला की प्रधान मीनाक्षी महापात्रा, एडब्ल्यूबीआइ की प्रतिनिधि चेतना जोशी सदस्य बनाई गई। यह कमेटी ही फैसला करेगी कि किसी कुत्ते को निगरानी में रखना जरूरी है या नहीं। एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया, भारत के सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालयों और केंद्र व राज्य सरकारों के दिशानिर्देशों / निर्देशों के अनुपालना सुनिश्चित करने की दिशा में निगरानी और कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है।

शहर को आवारा कुत्तों से मुक्ति दिलाने का किया था दावा

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने अपने सात सूत्रीय कार्यक्रम में वादा किया था कि शहर को आवारा कुत्तों से मुक्त किया जाएगा और जो डॉग कैनल हाउस बनाया जा रहा है, वहां पर इन्हें शिफ्ट किया जाएगा, लेकिन कानून के आड़े आने के कारण अब उनका यह वादा पूरा होना असंभव हो गया है। डॉग कैनल हाउस का सात फरवरी को शुभारंभ भी कर दिया गया था, लेकिन अभी तक उसका काम पूरा नहीं हुआ है। कांट्रेक्टर की पेमेंट क्लीयर न होने के चलते काम रुक गया है। जिस पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ने भी नाराजगी जताई थी, जिसके बाद नगर निगम मेयर कुलभूषण गोयल ने अधिकारियों से कहा है कि यदि ठेकेदार काम नहीं करता, तो पेंडिंग पड़े काम को अलग से टेंडर लगा दिया जाए।

मेनका गांधी ने किया था ट्वीट

पशु-अधिकारवादी मेनका गांधी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को ट्वीट करके पूछा था कि कुत्तों को कैद करके कैसे रखा जा सकता है, जिसके बाद खलबली मच गई थी। आनन-फानन में नगर निगम की बैठक बुलाई गई और इस डॉग कैनल हाउस का नाम बदलकर डॉग केयर, अस्पताल, छात्रावास, दत्तक ग्रहण और पुनर्वास केंद्र दिया गया था। इस समय सेक्टर 3 स्थित एनिमल अस्पताल में कुत्तों की स्टरलाइजेशन का काम अस्थायी तौर पर किया जाता है, जिसका निरीक्षण भी प्रशासक आरके सिंह द्वारा किया जाएगा।

बंद पड़ा है स्टरलाइजेशन

पिछले 4-5 महीने से स्टरलाइजेशन न होने के कारण लगातार आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ रही है। साथ ही कुत्तों द्वारा राह चलते लोगों को काटने का सिलसिला भी तेज हो गया है। भले ही पंचकूला में शत-प्रतिशत स्टरलाइजेशन हो जाए, लेकिन समस्या का हल तब तक नहीं निकल सकता, जब तक पंचकूला के आसपास लगते एरिया में स्टरलाइजेशन न हो। आवारा कुत्तों के आने-जाने की कोई सीमा नहीं है। पंचकूला के साथ लगते बलटाना, पीर मुछल्ला, विकासनगर, मनीमाजरा एवं ग्रामीण इलाकों में भी स्टरलाइजेशन जरूरी है।

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