Kargil Vijay Diwas: कर्नल गुरसेवक ने भरा था युवा पायलटों में जोश, पाकिस्तान के बंकर कर दिए थे तबाह

Kargil Vijay Diwas 2020 रिटायर्ड कर्नल गुरसेवक सिंह की प्रेरणा से भारतीय वायुसेना के युवा पायलटों ने पाकिस्तान के बंकरों को ध्वस्त कर दिया था।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 26 Jul 2020 11:15 AM (IST) Updated:Sun, 26 Jul 2020 12:19 PM (IST)
Kargil Vijay Diwas: कर्नल गुरसेवक ने भरा था युवा पायलटों में जोश, पाकिस्तान के बंकर कर दिए थे तबाह
Kargil Vijay Diwas: कर्नल गुरसेवक ने भरा था युवा पायलटों में जोश, पाकिस्तान के बंकर कर दिए थे तबाह

चडीगढ़ [वैभव शर्मा]। Kargil Vijay Diwas 2020: प्रेरणा और मेहनत से हर मुश्किल काम आसान हो जाता है। ऐसा ही कुछ कारगिल युद्ध में देखने को मिला था। जहां रिटायर्ड कर्नल गुरसेवक सिंह की प्रेरणा से भारतीय वायुसेना के युवा पायलटों ने पाकिस्तान के बंकरों को ध्वस्त कर दिया था। उनके मार्गदर्शन से ही एयरफोर्स के जवानों ने कारगिल युद्ध में भारतीय थल सेना के साथ मिलकर पाक सैनिकों को भारतीय जमीन से खदेड़ा था। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर आर्मी एयर डिफेंस कोर से रिटायर्ड कर्नल गुरसेवक सिंह ने दैनिक जागरण से युद्ध के दौरान के अपने अनुभवों को साझा किया।

उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध में ज्यादा हवाई हमले के लिए दो एयर बेस मुख्य थे, जिनमें अवंतीपुरा और श्रीनगर एयरबेस शामिल थे। युद्ध के दौरान कर्नल गुरसेवक अवंतीपुरा एयर बेस पर तैनात थे। हमले से पहले रोजाना पायलट्स को बताया जाता था कि आज कहां और कौन से दुश्मन के बंकरों पर हमला करना है। ज्यादातर पायलट्स युवा थे जिनमें युद्ध से पहले बेचैनी रहती थी, जिसको लेकर कर्नल गुरसेवक सभी पायलट्स की रोजाना ब्रीफिंग करते थे। आर्मी और एयरफोर्स की ज्वाइंट टीम को ग्राउंड लायसन यूनिट कहते हैं। कर्नल गुरसेवक इसी यूनिट में बतौर कमांडिंग अफसर तैनात थे।

जवानों के जोश और जज्बे ने काम को आसान बनाया

अवंतीपुरा एयरबेस श्रीनगर एयरबेस के मुकाबले युद्ध क्षेत्र के काफी करीब था। कर्नल गुरसेवक ने कहा कि कारगिल युद्ध अभी तक के सभी युद्धों में महत्वपूर्ण और मुश्किल था। दूसरे युद्धों में भारतीय सेना ने जमीन पर आमने-सामने की लड़ाई लड़ी थी, लेकिन कारगिल में दुश्मन पहाड़ों की चोटी पर थे। जवानों के जोश और जज्बे ने इस काम को आसान बनाया। भारत में एक परंपरा है कि ऑफिसर खुद अपनी बटालियन, यूनिट को लीड करता है। यहीं कारण था कि दुश्मनों के मुकाबले हमारे ऑफिसर रैंक के जवान ज्यादा शहीद हुए थे।

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