चंडीगढ़ में पटाखे बैन पर राजनीति नहीं, धक्केशाही का कर रहे विरोध, फैसला मंजूर नहींः कैलाश जैन

शहर में पटाखे बैन करने के फैसले के खिलाफ व्यापार मंडल के संयोजक कैलाश चंद जैन ने विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को यह फैसला करीब दो महीने पहले ही ले लेना चाहिए था ताकि व्यापारियों और दुकानदारों को इससे नुकसान न उठाना पड़ता।

By Ankesh KumarEdited By: Publish:Sun, 08 Nov 2020 04:44 PM (IST) Updated:Sun, 08 Nov 2020 04:44 PM (IST)
चंडीगढ़ में पटाखे बैन पर राजनीति नहीं,  धक्केशाही का कर रहे विरोध, फैसला मंजूर नहींः कैलाश जैन
व्यापार मंडल के संयोजक कैलाश चंद जैन।

चंडीगढ़, जेएनएन। दिवाली के अवसर पर शहर में पटाखे बेचने व चलाने पर बैन लगाए जाने के विरोध को राजनीति करार देने वाले लोगों को आड़े हाथ लेते हुए व्यापार मंडल के संयोजक कैलाश चंद जैन ने कहा, कि हम पटाखा बैन पर राजनीति नहीं, बल्कि प्रशासन की धक्केशाही का विरोध कर रहे हैं।

जोकि पटाखों के कारोबारियों के साथ की गई है। उन्होंने कहा कि प्रशासन का पटाखों पर बैन का फैसला पूरी तरह तुगलकी है और नामंजूर है।

दुकानदारों के नुकसान की भरपाई कैसे होगी

कैलाश चंद जैन ने कहा है कि प्रशासन का यह फैसला बिल्कुल मंजूर नहीं किया जा सकता। इस फैसले से दुकानदारों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। जिन दुकानदारों ने पहले ही माल खरीदा हुआ है अथवा ऑर्डर दिया हुआ है उनके लिए तो यह फैसला आफत बनकर आया है। उनके नुकसान की भरपाई कैसे होगी, यह बड़ा सवाल है। प्रशासन को अगर फैसला लेना ही था तो पहले लेते। अब ऐसा फैसला करके प्रशासन दुकानदारों के साथ धक्केशाही कर रहा है। उन्होंने प्रशासन के अधिकारियों से अपील की है कि वे इस फैसले पर पुनर्विचार करें और पटाखे बेचने की अनुमति दें।

प्रशासन को दो महीने पहले लेना चाहिए था फैसला

जैन का यह भी कहना है कि इस फैसले से हिंदू धर्मावलंबियों की भावनाएं भी आहत हुई हैं। पॉल्यूशन और कारोना से हम भी डरते हैं, लेकिन प्रशासन को अगर यह फैसला लेना ही था तो दो महीने पहले लिया जाता तो बेहतर होता। इससे दुकानदारों का नुकसान नहीं पाता। अब जो दुकानदार सामान ला चुके हैं, उनका क्या होगा। प्रशासन दो दिन पहले शहर में पटाखों की 96 स्टालों को मंजूरी देने के लिए दुकानदारों का शॉर्टलिस्ट करता है और फिर पटाखों पर बैन लगा देता है। यह दोहरा मापदंड क्यों? उन्होंने कहा कि प्रशासन लोगों के नुकसान की परवाह किए बिना मनचाहे नादिरशाही फैसले सुनाने का आदी हो गया है।

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