कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू के बयान पर जाट महासभा चंडीगढ़ अध्यक्ष राजिंदर बडहेड़ी ने जताई आपत्ति, बोले- माफी मांगे बिट्टू
बडहेड़ी ने कहा कि रवनीत बिट्टू के लिए यह कहना शर्मनाक है कि अकाली दल ने आनंदपुर साहिब और चमकौर साहिब जैसी पवित्र सीटें बहुजन समाज पार्टी को दी हैं। बिट्टू खुद आनंदपुर साहिब से सांसद रह चुके हैं। उन्हें खुद शुद्धता की बात नहीं करनी चाहिए।
चंडीगढ़, जेएनएन। अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय प्रतिनिधि और महासभा की चंडीगढ़ इकाई के अध्यक्ष सरदार राजिंदर सिंह बडहेड़ी ने पंजाब कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू के बयान पर विरोध जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि बिट्टू को अपने बयान के लिए तुरंत माफी मांगनी चाहिए और कांग्रेस पार्टी को भी उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। शिरोमणि अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी द्वारा गठबंधन करने व आनंदपुर साहिब और चमकौर साहिब बसपा के खाते में जाने को लेकर बिट्टू द्वारा टिप्पणी की गई थी, जिस पर राजिंदर सिंह बडहेड़ी ने आपत्ति जताई है।
बडहेड़ी ने कहा कि रवनीत बिट्टू के लिए यह कहना शर्मनाक है कि अकाली दल ने आनंदपुर साहिब और चमकौर साहिब जैसी पवित्र सीटें बहुजन समाज पार्टी को दी हैं। बिट्टू खुद आनंदपुर साहिब से सांसद रह चुके हैं। किसान नेता राजिंदर सिंह बडहेड़ी ने कहा कि बिट्टू को खुद शुद्धता की बात नहीं करनी चाहिए। उन्हें आनंदपुर साहिब निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं की कृपा से जीत मिली। एक सिख परिवार में पैदा हुआ व बिना दाढ़ी केस वाला व्यक्ति एक सिख दृष्टिकोण से पवित्रता का संदेश कैसे दे सकता है। ऐसी बातें उनके मुंह से अच्छी नहीं लगतीं।
उन्होंने कहा कि जब राहुल गांधी ने रवनीत बिट्टू को यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था, तब राहुल गांधी के कहने पर बिट्टू ने पहली बार पगड़ी पहनी थी। फिर ऐसा व्यक्ति जाति की बात कैसे कर सकता है। दसवें पातिशाह गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की, फिर पांच प्यारे (पंज प्यारे) को अमृत छकाते समय जाति की धारणा को समाप्त कर दिया था। बिट्टू को 2009 में आनंदपुर साहिब से सांसद बनने के तुरंत बाद अमृत छक कर पूरन गुरसिख बन जाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
सरदार बडहेड़ी ने एक दलित योद्धा भाई जैता का उदाहरण दिया, जो दिल्ली से गुरु तेग बहादुर साहिब का सिर लाया था। बडहेड़ी ने रवनीत सिंह बिट्टू को सलाह दी कि वह पहले आनंदपुर साहिब और सिख धर्म का इतिहास पढ़ें। उन्हें चमकौर साहिब में भाई संगत सिंह की शहादत को भी याद करना चाहिए और मानस की जात सबे एक पहचानबो वाक्यांश को अच्छी तरह से समझने की कोशिश करनी चाहिए। रवनीत सिंह बिट्टू ने भी अपने बयान से किसानों के विरोध को पटरी से उतारने की कोशिश की थी। ऐसे बयान को कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं जाट महासभा का नेता हूं लेकिन मैं जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करता हूं। मैं सभी का सम्मान करता हूं। मैंने कभी भी उच्च और निम्न के बीच भेदभाव नहीं किया है। जाति के बावजूद हर सिख पवित्र है। जाति समाज में शुरू से ही चला आ रहा है लेकिन एक सच्चा सिख कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं कर सकता।