जाट महासभा चंडीगढ़ अध्यक्ष बड़हेड़ी बोले- पंजाब सीएम को उनके अपने सलाहकार ही डुबोएंगे
किसान नेता बडहेड़ी ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बादल के साथ समझौता कर सरदार रवि इंदर को धोखा दिया और सिख समुदाय और पंजाबियों को धोखा दिया। ये सलाहकार कांग्रेस व जट्ट महासभा के नेताओं की चुगली करके और झूठी बातें बनाकर थपकियां लेते रहे हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को केवल खराब सलाहकारों और सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियुक्तियों के कारण शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है। उनके अपने सलाहकार ही उन्हें डुबोएंगे। यह बात अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय प्रतिनिधि और महासभा की चंडीगढ़ इकाई के अध्यक्ष राजिंदर सिंह बडहेड़ी ने कही है।
जाट महासभा चंडीगढ़ के अध्यक्ष राजिंदर सिंह बडहेड़ी ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि 8 जून 2006 को शाम 4 बजे पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल एसएफ रोड्रिग्स ने सरदार रविइंदर सिंह की उपस्थिति में तत्कालीन मुख्यमंत्री के सलाहकार को हटाने की सलाह दी थी और यह भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया था कि अगर वह 2007 के विधानसभा चुनाव जीतना चाहते हैं, तो भरतइंदर सिंह चहल को हटा दें लेकिन कप्तान नहीं माने। अब भी भरतइंदर सिंह चहल और संदीप संधू कांग्रेस पार्टी को डुबो रहे हैं।
उनका कहना है कि जाट महासभा ने 2017 में कैप्टन सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाई थी। 8 जून 2006 को कैप्टन और सरदार रवि इंदर सिंह संदीप (सरदार तेजा सिंह ढिल्लों के चाचा के पुत्र सिंह) की माफी के मुद्दे पर राज्यपाल रौड्रिग्ज से मिलने राजभवन गए थे। पहले भरतइंदर चहल के कारण अपमान झेलना पड़ता था और अब भी भरत इंदर चहल सतर्कता एवं आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रभारी हैं और विभाग का दुरुपयोग किया जा रहा है। अब यह अफवाह है कि कैप्टन-बादल समझौते में 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले अरविंद खन्ना और भरत चहल ने मध्यस्थता की थी।
किसान नेता बडहेड़ी ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बादल के साथ समझौता कर सरदार रवि इंदर को धोखा दिया और सिख समुदाय और पंजाबियों को धोखा दिया। ये सलाहकार कांग्रेस व जट्ट महासभा के नेताओं की चुगली करके और झूठी बातें बनाकर थपकियां लेते रहे हैं। कैप्टन से दूरियां बढ़ाने की भूमिका भी इन्होंने निभाई है। बडहेड़ी ने आरोप लगाया कि ओएसडी सलाहकार खनन माफिया से मिले हुए हैं। अंकित बंसल की स्थिति पूरी तरह बचकानी है। बडहेड़ी ने कहा कि वह साल 1984 से कप्तान का अनुयायी रहे हैं इसलिए उनकी दुर्दशा से दुखी हूं।