देश विकास के लिए जरूरी है कि अणुव्रत राष्ट्र की भावना विकसित हो : बंडारू दत्तात्रेय

भ्रष्टाचार जातिवाद नक्सलवाद और आतंकवाद पर प्रहार करने के लिए जरूरी है कि अणुव्रत को बढ़ावा मिले। मैं खुद हरियाणा राजभवन से अणुव्रत की प्रणाली को शुरू करूंगा। यह कहना है हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय का।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 09:44 PM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 09:44 PM (IST)
देश विकास के लिए जरूरी है कि अणुव्रत राष्ट्र की भावना विकसित हो : बंडारू दत्तात्रेय
देश विकास के लिए जरूरी है कि अणुव्रत राष्ट्र की भावना विकसित हो : बंडारू दत्तात्रेय

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : भ्रष्टाचार, जातिवाद, नक्सलवाद और आतंकवाद पर प्रहार करने के लिए जरूरी है कि अणुव्रत को बढ़ावा मिले। मैं खुद हरियाणा राजभवन से अणुव्रत की प्रणाली को शुरू करूंगा। यह कहना है हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय का। वीरवार को अणुव्रत आंदोलन से मुनि विनय कुमार आलोक ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात की। मुनि विनय कुमार आलोक ने बताया कि राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही अणुव्रत की भावना को बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे। अणुव्रत का दायरा किसी एक स्थान पर रखने के बजाए पूरे राष्ट्र और समाज में फैलना चाहिए क्योंकि जब भ्रष्टाचार, जातिवाद, नक्सलवाद, आतंकवाद का अंत होगा तभी बेहतर समाज का निर्माण हो सकेगा। जब समाज में हर बुरी कुरीति खत्म होगी उसके बाद ही राष्ट्र और समाज विकास कर सकेगा और हम बेहतर कल में प्रवेश कर सकेंगे। मुनि विनय कुमार आलोक की विचार चर्चा में राज्यपाल के अलावा पंजाब अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सलिल बंसल, विजय शर्मा, तेजिद, अशोक जैन, हर्षित तनेजा, शत्रुधन और सुभाष जैन मौजूद रहे।

मुनि विनय कुमार आलोक ने कहा अणुव्रत आंदोलन एक ऐसी प्रवृत्ति है जो किसी समाज धर्म और दल से जुड़ी हुई नहीं है, यदि जुड़ी है तो व्यक्ति की व्यक्ति के साथ। आंदोलन का कार्य व्यक्तिगत जीवन में चरित्र और नैतिकता का निर्माण करना है। यही कारण है इस आंदोलन के साथ 36 कोम का जुड़ाव है। देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने आचार्य तुलसी से कहा था पानी ऊपर से नीचे जाता है पर नैतिकता नीचे से ऊपर जाए ताकि अणुव्रत जन-जन का आंदोलन बन जाए। अणुव्रत एक चिगारी है जो अनैतिकता को भस्म कर सकती है और मैने देखा है अणुव्रत परीक्षा में एक साथ दिल्ली में 10 हजार अध्यापकों ने अणुव्रत परीक्षा दी। जयपुर में 15 हजार विद्यार्थी परीक्षा में सम्मलित हुए। यह देखने और सुनने से बढ़ा ही नही है इसी का नाम है बीज से बरगद होना। अणुव्रत आज बरगद के रूप में सबके सामने है।

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