International Nurse Day 2021 : कोरोना को 12 दिन में हराकर घर लौटे अजय, बोले- दूसरी जिदंगी का श्रेय सिस्टर्स और डॉक्टर्स को

वर्ल्ड नर्स डे के मौके पर कोरोना से ठीक हुए अजय टंडन ने दैनिक जागरण के साथ अस्पताल के अनुभव सांझे किए। अजय ने कहा कि वेंटिलेटर पर जाने के बाद अस्पताल की नर्स और डॉक्टर्स का इतना बेहतर अपनापन दिया कि मैं भूल गया कि मैं मर जाऊंगा।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 01:08 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 01:08 PM (IST)
International Nurse Day 2021 : कोरोना को 12 दिन में हराकर घर लौटे अजय, बोले- दूसरी जिदंगी का श्रेय सिस्टर्स और डॉक्टर्स को
चंडीगढ़ में 12 दिन में कोरोना को हराकर घर लौटे अजय टंडन।

चंडीगढ़, जेएनएन। कोरोना पॉजिटिव आने के बाद मेरा ऑक्सीजन लेवल गिरा तो मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। जिस समय मैं अस्पताल गया उस समय मैं पूरी तरह से टूट चुका था। मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं ठीक होकर वापिस आऊंगा। यह कहना है अजय टंडन का। अजय टंडन कोरेाना पॉजिटव आने के बाद अस्पताल में भर्ती रहे थे। वर्ल्ड नर्स डे के मौके पर उन्होंने दैनिक जागरण के साथ अस्पताल के अनुभव सांझे किए। अजय ने कहा कि कोरोना होने के बाद जब मेरी सांस रूकने लगी तो मुझे कोई उम्मीद नहीं थी कि मैं ठीक होकर वापिस काम पर लौट सकूंगा, लेकिन वेंटिलेटर पर जाने के बाद अस्पताल की नर्स और डॉक्टर्स का इतना बेहतर अपनापन दिया कि मैं भूल गया कि मैं मर जाऊंगा। एक भी बार नहीं लगा कि मैं ठीक नहीं हो सकता। मैं नर्स और डॉक्टर्स की बदौलत 12 दिनों में ठीक होकर वापिस घर आ गया।

बेहतर इलाज के साथ खान-पान का भी रखते थे ध्यान

अजय टंडन ने बताया कि डॉक्टर्स समय-समय पर चैक करने के लिए आते थे लेकिन सिस्टर्स हमेशा पीपीई किट में दिखती। मैं उनका कभी चेहरा तक नहीं देख सका लेकिन वह हमेशा ऐसे व्यवहार करती थी जैसे मैं उनका मरीज न होकर उनके परिवार का सदस्य था। मेरे खान-पान के साथ यदि मेरा बात करने का दिल करता तो वह उसे भी सुनती थी, हालांकि पीपीई किट में खड़ा रहना सबसे बड़ी मुश्किल थी।

मैंने 12वें सिस्टर को बताया कि मेरी पत्नी भी पॉजिटिव है जो कि अस्पताल में भर्ती है और मेरा बेटा घर में आइसोलेट है। मुझे घर जाना है क्योंकि मेरी पत्नी कभी भी घर आ सकती है और बेटे को भी जरूरत हो सकती है। उस समय भी सिस्टर ने मुझे समझाया कि कोरोना को आप हरा चुके है अब आपको खुद के डर को हराना है। उसी बात को सुनकर मैं वहां से आया और आज पूरी तरह से ठीक हूं।

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