भारतीय साहित्य में महिला लेखकों का अहम योगदानः लेखिका उर्मिला कौशिक

समाज से साहित्य बनता है और साहित्य में कहानियों कविताओं उपन्यास की विद्या में जीवन को एक नया नजरिया मिलता है। महिला लेखक होने से साहित्य में एक नया नजरिया और साथ ही विषयों को अलग तरीके से देखने में मदद मिलती है।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 02:12 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 02:12 PM (IST)
भारतीय साहित्य में महिला लेखकों का अहम योगदानः लेखिका उर्मिला कौशिक
नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला द्वारा आयोजित किया गया कला उत्सव

चंडीगढ़, जेएनएन। समाज से साहित्य बनता है और साहित्य में कहानियों, कविताओं, उपन्यास की विद्या में जीवन को एक नया नजरिया मिलता है। महिला लेखक होने से साहित्य में एक नया नजरिया और साथ ही विषयों को अलग तरीके से देखने में मदद मिलती है। ऐसे में भारतीय साहित्य में महिला लेखकों का अहम योगदान है। लेखिका उर्मिला कौशिक ने कुछ इन्हीं शब्दों में भारतीय साहित्य में महिला लेखकों के बारे में बात की। नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला द्वारा आयोजित एक महीने के कला उत्सव में वह रूबरू सेशन में शामिल हुए। उनके साथ सेंटर के निदेशक डॉक्टर सौभाग्य वर्धन ने बात की।

साहित्य से फिल्मों तक का सफर

कौशिक ने कहा कि लिखना उन्हें बचपन से ही पसंद रहा था। ऐसे में उनकी शुरुआत कविताओं फिर गजलों और कहानियों से हुई। उन्होंने हर विद्या में लिखने की कोशिश की। उर्मिला ने कहा कि लिखने की हर विद्या में आपको एक नई सीख मिलती है। एक लेखक के तौर पर कई चैलेंज आप को मिलते हैं। ऐसे में आपको खुद की लेखन शैली को बेहतर बनाने का मौका भी मिलता है। उर्मिला ने पंजाबी-हरियाणवी फिल्मों में भी लिखा। उसके साथ  अलग प्रसिद्धि मिली। विभिन्न राज्यों ने उन्हें साहित्य में योगदान के लिए सम्मानित किया। उर्मिला ने कहा कि इन दिनों कई महिलाएं लिख रही है जो कि साहित्य के लिए अच्छा संदेश है। उर्मिल की दो किताबें जल्द ही प्रकाशित होने वाली है साथ ही उनकी पुस्तक सैल्यूट के लिए हरियाणा साहित्य अकादमी ने उन्हें श्रेष्ठ प्रीति पुरस्कार का सम्मान भी दिया।

chat bot
आपका साथी