यूजीसी से करना है डीलिक तो एनईपी का क्या फायदा : डा. मधु
पंजाब सरकार उच्च शिक्षण संस्थानों को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) से डीलिक करना चाहती है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब सरकार उच्च शिक्षण संस्थानों को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) से डीलिक करना चाहती है। अगर डीलिक करना है तो फिर केंद्र सरकार को नेशनल एजुकेशन पालिसी बनाने की क्या जरूरत है। पंजाब सरकार के रवैये को लेकर बुधवार को पंजाब-चंडीगढ़ कालेज टीचर्स यूनियन (पीसीसीटीयू) ने एसडी कालेज सेक्टर-32 में धरना-प्रदर्शन दिया।
इस दौरान पीसीसीटीयू से डा. मधु शर्मा ने बताया कि न्यू एजुकेशन पालिसी में देशभर में एक जैसी बेहतरीन शिक्षण प्रणाली को शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन पंजाब सरकार बीते एक साल से पंजाब और चंडीगढ़ में चल रहे उच्च शिक्षण संस्थानों को यूजीसी से डीलिक करके नई प्रणाली शुरू करना चाहती है जो कि पूरी तरह से गलत है। देश आजाद होने के बाद हमेशा से एक ही शिक्षण प्रणाली देशभर में चली है। पंजाब सरकार द्वारा थोपा जा रहा निर्णय पूरी तरह से गलत है। सातवां वेतनमान नहीं दिया
डा. मधु ने बताया कि पंजाब सरकार केंद्र सरकार के नियमों का उल्लंघन लंबे समय से करती आ रही है। वर्ष 2016 में देशभर में सातवां पे स्केल शुरू हुआ, लेकिन पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल के सैकड़ों कर्मचारी उस पे स्केल से वंचित हैं। चार वर्षो के लंबे संघर्ष के बाद अब पंजाब सरकार आश्वासन दे रही है कि जल्द ही शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत स्टाफ को सातवां वेतनमान दिया जाएगा। चार वर्षो से पे स्केल न मिलने से टीचर्स को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। ऐसे में अब प्रदेश के युवा पंजाब में नौकरी करने के बजाय अन्य प्रदेशों में जाकर काम करना चाह रहे हैं।