चंडीगढ़ में 31 मार्च तक छत पर सोलर प्रोजेक्ट नहीं लगवाया तो आएगा नोटिस, एस्टेट ऑफिस बिल्डिंग बायलाॅज के तहत करेगा कार्रवाई
चंडीगढ़ में घर या कॉमर्शियल प्रापर्टी की छत पर सोलर प्रोजेक्ट नहीं लगवाया है तो इसे तुरंत लगवा लें। एस्टेट ऑफिस ने बिल्डिंग बायलॉज के तहत 500 वर्ग गज या इससे अधिक एरिया के घरों या दूसरी किसी भी तरह की प्रापर्टी पर सोलर प्रोजेक्ट लगाना अनिवार्य कर रखा है।
चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ में घर या कॉमर्शियल प्रापर्टी की छत पर अभी तक सोलर प्रोजेक्ट नहीं लगवाया है तो इसे तुरंत लगवा लें। ऐसा नहीं करना आपको मुश्किल में डाल सकता है। प्रोजेक्ट नहीं लगवाने पर एस्टेट ऑफिस बिल्डिंग बायलॉज के तहत नोटिस भेज कर कार्रवाई करेगा। 31 मार्च के बाद बिल्डिंग बायलॉज के नोटिस आने लगेंगे। इसका कारण यह है कि एस्टेट ऑफिस ने रेजिडेंट्स को 31 मार्च तक का समय ही सोलर प्रोजेक्ट लगाने के लिए दे रखा है। इसके बाद कार्रवाई शुरू होगी। क्रेस्ट इससे पहले कई बार अपील कर एस्टेट ऑफिस से समय सीमा बढ़वाता रहा है। बावजूद इसके तीन हजार से अधिक घर ऐसे हैं जिन्होंने दायरे में आने के बावजूद सोलर प्रोजेक्ट नहीं लगवाया। यह अभी भी इसे लगवाने में आना-कानी कर रहे हैं।
दरअसल एस्टेट ऑफिस ने बिल्डिंग बायलॉज के तहत 500 वर्ग गज या इससे अधिक एरिया के घरों या दूसरी किसी भी तरह की प्रापर्टी पर सोलर प्रोजेक्ट लगाना अनिवार्य कर रखा है। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई का प्रविधान है। चंडीगढ़ के रेजिडेंशियल एरिया में ही आठ हजार से अधिक ऐसे घर हैं। जो इस दायरे में आते हैं। इनमें अभी भी दो हजार से अधिक घर ऐसे हैं जिन्होंने सोलर प्रोजेक्ट नहीं लगवाए हैं। इसके अलावा कॉमर्शियल और इंडस्ट्रियल प्रापर्टी भी है। जिन पर सोलर प्रोजेक्ट नहीं लगे हैं। अब इन सभी की सूची एस्टेट ऑफिस तैयार कर रहा है। इससे पहले ज्यादा से ज्यादा लोग बचे समय में सोलर प्रोजेक्ट लगवा लें इसके लिए चंडीगढ़ रिन्यूऐबल एनर्जी साइंस एंड टेक्नोलॉजी (क्रेस्ट) रेजिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन के साथ मिलकर कैंप भी लगाएगा। जिसमें लोगों को तुरंत इसे लगाने के लिए जागरूक किया जाएगा।
ऐसे भी लगवा सकते हैं प्रोजेक्ट
अगर किसी रेजिडेंट के पास सोलर प्रोजेक्ट लगवाने के लिए पैसे नहीं है तो वह रेस्को मॉडल के तहत इसे लगवा सकता है।इसमें सोलर पावर प्रोजेक्ट बिना किसी इन्वेस्टमेंट के लग जाएगा। रेस्को मॉडल के तहत यह प्लांट कंपनी लगाएगी। इतना ही नहीं प्लांट से जेनरेट होने वाली बिजली घर में इस्तेमाल होने के बाद जो बचेगी उससे कंपनी को पैसा जाता रहेगा। इससे कंपनी के पैसे पूरे हो जाएंगे। जबकि 15 साल बाद कंपनी इस प्रोजेक्ट को प्रापर्टी ऑनर को हैंडओवर कर देगी। इसके बाद प्रापर्टी मालिक का इस पर पूर्ण अधिकार होगा। कंपनी ही प्रोजेक्ट की इंस्टालेशन से लेकर मेंटेनेंस का काम भी देखेगी।
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