आइसीआइसीआइ बैंक ने उपभोक्ता को इंश्योरेंस पॉलिसी में नहीं दिया पूरा लाभ, चंडीगढ़ कंज्यूमर फोरम ने लगाया हर्जाना
आइसीआइ बैंक द्वारा अपने एक ग्राहक का बीमा किया गया। लेकिन कस्टमर को बताए गए बेनिफिट पॉलिसी में नहीं कवर किए तो उपभोक्ता कंज्यूमर फोरम में पहुंचा और अपनी शिकायत दर्ज करवाई। फोरम ने सुनवाई करते हुए बैंक पर हर्जाना लगाया है।
चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। उपभोक्ता को झूठ बोल कर बीमा करना आइसीआइसीआइ बैंक को महंगा पड़ गया है। दरअसल बैंक द्वारा अपने कस्टमर का बीमा किया गया था लेकिन उसे जो बताए गए बेनिफिट थे वो पॉलिसी में कवर नहीं किए गए थे। उपभोक्ता फोरम ने आइसीआइसीआइ बैंक पर वर्ष 2017 से अब तक आठ फीसद ब्याज दर के साथ 57 हजार रुपये उपभोक्ता को वापस करने का फैसला सुनाया है। फोरम ने बैंक उपभोक्ता का बीमा पॉलिसी भी बंद करने को कहा है। वहीं उपभोक्ता को हुई मानसिक परेशानी के लिए और मुकदमे के भुगतान के तौर पर 10-10 हजार रुपये अतिरिक्त हर्जाना भी लगाया है।
जानकारी के अनुसार कपूरथला निवासी राजेश कुमार ने चंडीगढ़ कंज्यूमर फोरम में आइसीआइसीआइ बैंक के मैनेजर के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करवाई। फोरम में दी शिकायत में कहा कि उन्होंने 25 सितंबर 2017 में उक्त बैंक से 14,32,000 रुपये का लोन लिया था। इसके बाद उन्होंने चेक माध्यम से 13,75,000 रुपये का लोन वापस भी कर दिया था। कुल 57,000 रुपये की शेष राशि रह गई थी। चेक जारी करने के बाद बैंक ने उन्हें इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के लिए मजबूर किया, जिसका समय तीन से दस वर्ष का था।
किए गए वायदों से मुकरा बैंक
शिकायतकर्ता ने कहा कि बैंक ने इस राशि को पॉलिसी के प्रीमियम के रूप में घटा दिया था। इसके बाद बैंक ने राजेश कुमार को बताया कि यह पॉलिसी दुर्घटना, चिकित्सा, सामान्य मृत्यु और आकस्मिक मृत्यु को कवर करेगी। हालांकि बाद में बैंक ने इस बीमा पॉलिसी में केवल आकस्मिक मौत को कवर किया, सामान्य मौत नहीं। शिकायतकर्ता ने इसके बाद बैंक से संपर्क किया लेकिन बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों ने उनकी कोई बात नहीं सुनी।
बीमा सौंपने का दिया जोर
शिकायतकर्ता ने ईमेल के जरिये बैंक के मैनेजर को बीमा पाॅलिसी उसे सौंपने के लिए कई बार कहा। लेकिन बैंक ने 70 दिन के बाद शिकायतकर्ता को दो बीमा पॉलिसी दी। पहली पॉलिसी के लिए प्रीमियम पांच साल के लिए 31,861 रुपये और दूसरी पॉलिसी के लिए 25,139 रुपये दो साल के लिए था। इसके बाद शिकायतकर्ता को अपने साथ हुए फ्रॉड का पता चला और बैंक मैनेजर सहित अन्य लोगों के खिलाफ फोरम में शिकायत दर्ज करवाई।