'इब्राहिम अल्काजी मजदूरों के लिए थिएटर करते थे, खुद लगा लेते थे स्टेज पर झाडू'

नीलम मान सिंह ने नेशनल स्कूल अॉफ ड्रामा में रहते हुए 1973-76 तक अल्काजी से रंगमंच की बारीकियां सीखीं।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 12:59 PM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 12:59 PM (IST)
'इब्राहिम अल्काजी मजदूरों के लिए थिएटर करते थे, खुद लगा लेते थे स्टेज पर झाडू'
'इब्राहिम अल्काजी मजदूरों के लिए थिएटर करते थे, खुद लगा लेते थे स्टेज पर झाडू'

चंडीगढ़, [शंकर सिंह]। हर चीज में क्रिएटिविटी ढूंढ लेना सर का काम था। वो जिसे भी देखते, उसमें से कुछ न कुछ निकाल लेते। चाहे झाड़ू हो या सिगरेट का खाली डिब्बा। उनके अंदर रंगमंच ऐसे बसा था कि वो हर पल उसी दुनिया में रहते थे। कोई काम छोटा नहीं था, वो खुद मजदूरों के लिए रंगमंच करते थे। स्टेज में कुछ कूड़ा दिखता तो खुद झाड़ू उठा लेते थे। रंगकर्मी इब्राहिम अल्काजी को कुछ इन्हीं शब्दों में याद किया रंगकर्मी नीलम मान सिंह ने। मंगलवार को अल्काजी के निधन से पूरे देश में शोक की लहर पैदा हो गई। नीलम मान सिंह ने नेशनल स्कूल अॉफ ड्रामा में रहते हुए 1973-76 तक अल्काजी से रंगमंच की बारीकियां सीखीं।

नीलम ने कहा कि अल्काजी जिंदा दिल थे। उन्होंने मुझे रंगमंच की बारीकियां सिखाई। डायरेक्शन से लेकर अनुशासन तक। वह नाटक पढ़ाते-पढ़ाते उसका किरदार बन जाते थे, अपने आप में जैसे एक नाटक लेकर चलते हों। केवल रंगमंच ही नहीं, बल्कि इस से जुड़ी कहानियां, कविताएं, पेंटिंग हर चीज में उनकी दिलचस्पी होती थी। उनकी जिज्ञासा की वजह से हम भी कुछ न कुछ नया खोजने की कोशिश करते।

आखिरी बार लंच पर मुलाकात हुई

नीलम ने बताया कि एनएसडी के बाद उनसे कई बार मुलाकात हुई। सबसे ज्यादा खुशी तब हुई जब लंदन में वह मेरा शो देखने पहुंचे। दिल्ली में उनके 90वां जन्मदिन बनाया, तो मुझे भी खास इनवाइट किया गया। अभी डेढ़ साल पहले उनके यहां लंच पर गई, तो उन्होंने हाथ पकड़ कर मुझसे बात की, जैसे वो फिर से उन्हीं दिनों में चले गए हों। उनके लिए दो कुर्ते लाई, तो उसके रंग उन्हें पसंद नहीं आए, वो हल्के रंग नहीं बल्कि चमकीले रंग पहनना चाहते थे।

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