IAS के बेटे के अपहरण व हत्या मामले में पंजाब के पूर्व DGP सुमेध सिंह सैनी SIT के समक्ष पेश

आइएएस के बेटे के अपहरण व हत्या मामले में पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी शुक्रवार को मोहाली में एसआइटी के समक्ष पेश हुए। यह मामला वर्ष 1991 का है। तब पंजाब में आतंकवाद का दौरा था।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 01:21 PM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 01:21 PM (IST)
IAS के बेटे के अपहरण व हत्या मामले में पंजाब के पूर्व DGP सुमेध सिंह सैनी SIT के समक्ष पेश
पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी। (फाइल फोटो)

जेएनएन, मोहाली। पूर्व आइएएस अफसर के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी के 1991 में अपहरण व हत्या मामले में पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी शुक्रवार को एसआइटी के समक्ष पेश हुए। सैनी को बुधवार को भी एसआइटी के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन तब वह नहीं आए थे।

सैनी पंजाब बंद के दौरान शुक्रवार सुबह करीब साढ़े 8 बजे ही एसआइटी के समक्ष पेश होकर अपनी हाजिरी लगवाने के बाद वापस चले गए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सैनी अदालत में भी पेश हुए, पर इस सबंधी अदालती कार्रवाई के निर्देश अभी नहीं आए हैं। बताया जा रहा है कि सुमेध सैनी अपने वकील के साथ पहुंचे थे, जिन्होंने एसआइटी के सामने पेश होकर उनकी जांच का हिस्सा बने और उसके बाद मोहाली कोर्ट चले गए।

वहीं, पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ अब गिल्को हाईट्स मोहाली के रहने वाले भगवान सिंह मोकल ने कोर्ट में अपने 164 के बयान दर्ज करवाए हैं, जबकि छह अगस्त को भगवान सिंह थाना मटौर में अपने 161 के बयान दर्ज करवा चुके हैं। भगवान सिंह ने अपने बयानों में अदालत को बताया कि वह सिख स्टूडेंट फेडरेशन केे प्रधान रह चुके हैैंं। वह पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में वर्ष 1978 से लेकर 1984 तक गुरु नानक सिख स्टडीज में बतौर रिसर्चर स्कॉलर थे। उस समय पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी एमए पॉलिटिक्स साइंस के स्टूडेंट थे।

विद्यार्थी जीवन में उन्होंने सिख स्टूडेंट्स फेडरेशन बतौर एक्टिंग प्रधान की सेवाएं निभाई थी। वह और सुमेध सैनी एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते थे। 1991 में जब सुमेध सैनी एसएसपी चंडीगढ़ थे, तो उन पर बम धमाका हुआ जिस कारण सैनी ने उसे 29 जनवरी 1992 की रात को मोहाली से गिरफ्तार करके सीआरपीएफ कैंप पिंजौर गार्डन के सामने मल्ला कैंप में ले गए थे। जहां खुद सुमेध सैनी ने 31 जनवरी 1992 को आकर उसे टॉर्चर किया। सैनी ने उसे टॉर्चर करते हुए कहा कि उसने ही उसकी रेकी करवाई और तूं ही बम ब्लास्ट का मास्टरमाइंड है।

इंटेरोगेशन के दौरान सैनी ने उन्हें बताया कि बीबी बुलारा उसके पास रोती फिरती है और मैंने राजिंदर बुलारे को मार दिया है और अब वह उसे कहां से लाए। इसके साथ सैनी ने कहा कि डीएस मुल्तानी आइएएस के लड़के को भी उन्होंने मार दिया है। वह भी रोता फिरता है।

भगवान सिंह ने कहा कि सैनी ने उन्हें यह भी बताया कि उन्होंने अपने लोगों के जरिये खाड़कूबलविंदर सिंह जटाने के परिवार के लोगों व अरुड सिंह मेंबर पंथक कमेटी को भी मरवा दिया है। इस टॉर्चर के बाद सैनी ने उन पर भी एफआइआर नंबर-32 जो कि 12 मार्च 1992 को सेक्टर-17 पुलिस स्टेशन में दर्ज करवा दी और उन्हें जेल भेज दिया। इस झूठे मामले के कारण उन्हें मानसिक व शारीरिक परेशानी झेलनी पड़ी।

भगवान सिंह ने अपने बयानों में कहा कि यह सच वह सामने लाना चाहतेे थे, जिसके कारण इस संबंधी उन्होंने शिकायत नंबर-670 वर्ष 2001 में राष्ट्रीय ह्यूमन राइट्स कमीशन व पंजाब राज्य अधिकार ह्यूमन राइट कमीशन को दी। इन शिकायतों के बाद सैनी ने उन पर दबाव बनाने के लिए उनका नाम लुधियाना सिंगार सिनेमा बम कांड में नामजद किया था और पुलिस कस्टडी दौरान उन्हें उक्त शिकायतें आगे से न करने के लिए दबाव बनाया। अब उन्हें पता चला कि मुल्तानी के खिलाफ थाना मटौर में मामला दर्ज हो गया है, इसलिए वह अपनी मर्जी से थाना मटौर में अपने बयान दर्ज करवा रहे हैंं। 

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