कोरोना से ठीक होने वाले मनोरोगों का हो रहे शिकार
कोविड मरीजों के साथ-साथ मानसिक बीमारियां भी बढ़ रही हैं। संक्रमण से ठीक हुए कुछ मरीजों में भी मानसिक बदलाव देखे जा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, मोहाली : कोविड मरीजों के साथ-साथ मानसिक बीमारियां भी बढ़ रही हैं। संक्रमण से ठीक हुए कुछ मरीजों में भी मानसिक बदलाव देखे जा रहे हैं। इसका मुख्य कारण मरीज का लंबे समय तक आइसोलेशन में रहना है। लोगों का काम करने का तरीका भी बदल गया है, लोग घरों से काम कर रहे हैं, इस कारण इलेक्ट्रिक उपकरण पर निर्भरता ज्यादा बढ़ गई है। लोग घरों में ही ज्यादा समय बिता रहे हैं। वहीं, बच्चे भी आजकल ऑनलाइन क्लास लगा रहे हैं। इन सभी कारणों से लोगों में मानसिक बीमारी का ज्यादा खतरा है। मनोचिकित्सक हरदीप कौर ने बताया कि हम भावनात्मक रूप से एक दूसरे से जुड़े रहना चाहिए। हम अपने खानपान में थोड़ा सा बदलाव लाकर इन समस्याओं से बच सकते हैं। साथ में हमें अपनी दिनचर्या में भी बदलाव करना पड़ेगा जैसे सुबह कुछ समय के लिए व्यायाम करना चाहिए। क्योंकि कोरोना महामारी में हम घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। इस कारण घर बैठे-बैठे तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है। तनाव को कम करने के लिए हमें व्यायाम, मनोरंजन और सभी परिवारजनों का आपस में बातचीत करना ही उपाय है।
मानसिक बीमारी के शुरुआती लक्षण
शुरुआती दौर में नींद न आना, भूख कम लगना, काम या पढ़ाई में मन न लगना, उदासी रहना, घबराहट जैसे लक्षण मानसिक बीमारी होने पर दिखाई देते हैं। अगर किसी भी व्यक्ति में यह लक्षण दिखाई दें तो उसे तुरंत मनोचिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। कोरोना के दौर में हमें एबीसी पर काम करना चाहिए। ए अवेयरनेस, यानि बीमारी के बारे में हमें पूरी जानकारी होनी चाहिए। बी, बिलीव। मतलब हमें अपने डॉक्टर एवं दूसरे स्टाफ पर भरोसा रखना चाहिए। सी। केयर अपना पूरी तरह से ध्यान रखें। मोहाली में कोविड का इलाज करने वाली नर्से भी अपना अनुभव शेयर कर रही हैं। सरकारी अस्पताल की नर्स वंदना ने बताया कि लोगों को अपने अनुभव से बताया जा रहा है कि कोविड को हराया जा सकता है। इस लिए जागरूक होने की जरूरत है। कोविड से कैसे बचें और होने पर क्या करें इस बारे में आसपास पड़ोस भी जागरूक करते हैं।