वन टाइम सेटलमेंट का मुद्दा लाए हाउसिंग बोर्ड, ट्रासफर फीस कम की मांग

हाउसिंग बोर्ड के मकानों में लोगों द्वारा की गई नीड बेस्ड चेंज को वन टाइम सेटलमेंट के जरिये रेगुलराइज करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। हाउसिंग बोर्ड के अलाटियों ने मकानों की ट्रासफर फीस भी कम करने को कहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 12:19 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 12:23 PM (IST)
वन टाइम सेटलमेंट का मुद्दा लाए हाउसिंग बोर्ड, ट्रासफर फीस कम की मांग
वन टाइम सेटलमेंट का मुद्दा लाए हाउसिंग बोर्ड, ट्रासफर फीस कम की मांग

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : हाउसिंग बोर्ड के मकानों में लोगों द्वारा की गई नीड बेस्ड चेंज को वन टाइम सेटलमेंट के जरिये रेगुलराइज करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। हाउसिंग बोर्ड के अलाटियों ने मकानों की ट्रासफर फीस भी कम करने को कहा है। यह दोनों मुद्दे बोर्ड की बैठक में शामिल करने की माग अलाटियों ने की है।

हाउसिंग बोर्ड ने लोगों द्वारा अपने मकानों में जरूरत के अनुसार किए गए निर्माण को रेगुलराइज करने के लिए सो रुपये प्रति वर्ग फीट के हिसाब से पेनल्टी लगाई है। यह पेनल्टी हर कैटेगरी के मकान के लिए अलग-अलग है।

जरूरत के अनुसार किए गए निर्माण को रेगुलराइज करने के लिए वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी लाई जाए

हाउसिंग बोर्ड ने यह पेनल्टी सलाना ले रहा है। हाउसिंग बोर्ड के अलॉटियों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। बोर्ड के कई डायरेक्टर्स भी इसके विरोध में हैं। बोर्ड के डायरेक्टर प्रेम कौशिक के अनुसार बोर्ड को सालाना पेनल्टी की बजाय जरूरत के अनुसार किए गए निर्माण को रेगुलराइज करने के लिए वन टाइम सेटलमेंट लेकर आनी चाहिए। इससे शहर के हजारों अलॉटियों को राहत मिलेगी। इसके साथ-साथ ट्रासफर फीस को भी कम करने पर विचार होना चाहिए। मौजूदा समय में हाउसिंग बोर्ड 15 फीसद के हिसाब से ट्रासफर फीस ले रहे हैं। सेक्टर-63 के फ्लैट्स की ट्रासफर में यह फीस दो बेडरूम के फ्लैट के लिए चार से पांच लाख रुपये और तीन बेडरूम फ्लैट के लिए सात से आठ लाख तक देनी पड़ रही है। जबकि हाउसिंग सोसाइटी फ्लैट्स में यह ट्रासफर फीस एक से जो लाख रुपये तक है।

भारी भरकम पेनल्टी दे पाना लोगों के लिए मुश्किल

चंडीगढ़ में हाउसिंग बोर्ड के साठ हजार फ्लैट हैं। इनमें 80 फीसद लोगों ने अपनी जरूरत के अनुसार निर्माण किया हुआ है। हाउसिंग बोर्ड के मकानों में रहने वाल पेनल्टी का विरोध कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि जरूरत के अनुसार किए गए निर्माण को रेगुलराइज किया जाना चाहिए। हर साल 100 वर्ग फी अतिरिक्त निर्माण के लिए भी 10,000 रुपये सालाना पेनल्टी देनी होगी। चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड रेजिडेंट फेडरेशन के प्रोफेसर निर्मल दत्त के अनुसार बोर्ड के मकानों में रहने वाले अपने ही मकान में किरायेदार बन गए हैं। इतनी भारी भरकम पेनल्टी दे पाना लोगों के लिए संभव नहीं है। उन्होंने इसकी बजाय वन टाइम सेटलमेंट पर बोर्ड को निर्णय लेने को कहा पूर्व पार्षद जितेंद्र भाटिया के अनुसार यदि बोर्ड ने किसी की अलॉटमेंट कैंसिल की तो इसके खिलाफ आदोलन किया जाएगा।

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