इतिहास व रंगमंच की दुनिया लाई इंसानियत के करीब, इसी वजह से लेखन मेरे जीवन में आयाः सरिता मेहता
नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला द्वारा आयोजित ऑनलाइन वर्कशॉप के अंतर्गत आयोजित रूबरू सेशन में लेखिका सरिता मेहता ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने लेखन यात्रा पर बात की औक कहा कि रंगमंच और इतिहास में रूचि होने के कारण ही लेखन उनके जीवन में आया।
चंडीगढ़, [शंकर सिंह]। रंगमंच और इतिहास, दोनों ही मेरी जिंदगी में अहम रहे। दोनों की बाहें थाम ही मैंने जीवन को सीखा। इसी वजह से लेखन मेरे जीवन में आया। जहां से मैंने मानवता और इतिहास को एक साथ लाकर कई नाटक और उपन्यास लिखे। लेखिका सरिता मेहता कुछ इसी अंदाज में अपनी लेखन यात्रा पर बात करती हैं। नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर पटियाला द्वारा आयोजित एक माह की ऑनलाइन वर्कशॉप के अंतर्गत आयोजित रूबरू सेशन में उन्होंने हिस्सा लिया। जहां उनके साथ डा. सौभाग्य वर्धन ने बात की। सरिता ने कहा कि उनकी पढ़ाई चंडीगढ़ में ही हुई, जहां के बाद वह लंबा समय अमेरिका में भी रही।
चार दशकों से नाटक, कविता और कहानियों को समर्पित जीवन
सरिता ने कहा कि वह लगभग चार दशकों से लिख रही हैं। इस दौरान जीवन को बदलते देखा। शहर को महानगर बनते देखा। छोटे शहर से अमेरिका की यात्रा की। जहां से जीवन दर्शन और जीवन बदलने की बातें आखों देखी सुनी। मैंने इन अनुभवों को नाटक, कविता और कहानियों के रूप में मंचित भी किया। रंगमंच मेरे जीवन में कॉलेज के समय से ही आया। उन दिनों रंगमंच अलग था, आज अलग है। आज की समस्याएं भी बदल गई हैं। ऐसे में नाटक लिखना जरूरी है। ताकि नई पीढ़ी अपने अनुसार अपनी कहानी बता सके। मेरे जीवन में इतिहास की अपनी भूमिका है। ऐसे में इतिहास विषय पर कई किताबें लिखी। इसके अलावा हर हर महादेव और ओम गणेशाय नमः जैसे कुछ नामी नाटक लिखा। इसके अलावा आमने-सामने, इंतजार और परवासी दर्द जैसी कुछ कहानियां हैं। सरिता को अभी तक तीस से अधिक पुरस्कार मिल चुके हैं। कविता मणि, साहित्य मणि और ग्लोबल टीचर अवार्ड उनकी कुछ उपलब्धियां हैं।
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