पंजाब में 1158 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया पर हाई कोर्ट की रोक, जानें क्या है वजह

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब में 1158 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। इस संबंध में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर भर्ती में नियुक्ति के पैमाने पर सवाल उठाया गया था।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 01:32 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 01:32 PM (IST)
पंजाब में 1158 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया पर हाई कोर्ट की रोक, जानें क्या है वजह
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब के सरकारी कालेजों में 1158 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया पर अगले आदेशों तक रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने के साथ ही पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है।

मामले में एक आवेदक ने एडवोकेट जगतार सिंह सिद्धू के माध्यम से याचिका दाखिल की थी। याचिका में इस नियुक्ति के पैमाने को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया कि सरकार ने पंजाब के सरकारी कालेजों में 1158 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की थी। जिसके अनुसार उन आवेदकों को प्रतिवर्ष के अनुसार एक अंक दिया जाना तय किया था जो पहले ही किसी सरकारी कालेज में पार्ट-टाइम, गेस्ट फेकल्टी व कांट्रेक्ट पर काम कर रहे हैं।

इस तरह अधिकतम 5 अंक दिए जाने तय किए थे। इसके खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर बताया कि वह आवेदक जो सरकारी अनुदान से चल रहे कालेज में या निजी कालेजों में पार्ट-टाइम, गेस्ट फेकल्टी व कांट्रेक्ट पर काम कर रहे हैं, उन्हें अतिरिक्त अंक नहीं दिए जा रहे।

याची सरकारी अनुदान प्राप्त कालेज में कार्यरत था तो पहले उसे 5 अंक दे दिए गए, लेकिन बाद में स्क्रूटिनी में यह कहते हुए उसके अंक काट लिए गए कि वह सरकारी कालेज में कार्यरत नहीं था। याची का कहना है कि यह नियम पूरी तरह से असंवैधानिक और अवैध हैं। हाई कोर्ट ने भी इस पर सवाल उठाते हुए अब पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर दिया है और 13 दिसंबर अगली सुनवाई पर नियुक्ति प्रक्रिया पर भी रोक लगा दी है।

बता दें, पंजाब सरकार द्वारा निकाली गई असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती में संस्कृत विषय में एक भी भर्ती न निकाले जाने का भी विरोध हो रहा है। पंजाब के कई कालेजों में संस्कृत प्रोफेसर नहीं हैं। इस पर संस्कृत विषय से जुड़ी संगठनों ने आपत्ति भी जताई थी। उनका कहना था कि हिंदी, पंजाबी व अंग्रेजी विषय की भर्ती निकाली गई है, जबकि संस्कृत की अनदेखी की गई है। 

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