कचरा प्रबंधन में नगर निगम विफल, हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
याचिका दाखिल करते हुए अमित शर्मा ने हाई कोर्ट को बताया कि 2005 में जेपी ग्रुप को गार्बेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 10 एकड़ भूमि दी गई थी जिस पर 2008 में काम शुरू हुआ था।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : डड्डूमाजरा गारबेज ट्रीटमेंट प्लांट में लगे कूड़े के ढेर से 50 हजार से ज्यादा लोगों के प्रभावित होने की बात कहते हुए इससे निजात दिलाने की मांग पर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ नगर निगम से जवाब तलब कर लिया है। याचिका दाखिल करते हुए अमित शर्मा ने हाई कोर्ट को बताया कि 2005 में जेपी ग्रुप को गार्बेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 10 एकड़ भूमि दी गई थी, जिस पर 2008 में काम शुरू हुआ था। इसके बाद 2016 में टिपिग चार्ज की जेपी ने मांग की और विवाद बढ़ता गया। 2020 में नगर निगम ने कचरा प्रबंधन का जिम्मा खुद उठाया और कार्य आरंभ किया। याची ने बताया कि जहां गत वर्ष निगम केवल 13.36 प्रतिशत कचरे का निपटारा कर सका वहीं इस वर्ष मई तक 16.09 प्रतिशत का निपटारा कर सका। याची ने बताया कि जहां 2016 से 2020 के बीच कचरा जमा करने में 86 प्रतिशत इजाफा हुआ। वहीं इसके निपटारे में केवल 12 प्रतिशत की इजाफ हुआ है। इसी के चलते बिना निपटारा हुआ कचरा 80 प्रतिशत तक बढ़ गया है और कचरे के पहाड़ का कद बढ़ता जा रहा है।
यहां से होने वाली बदबू से लोगों का जीना मुहाल हो गया है और यहां पर 2005 से 2021 तक कुल 486 आग लगने से जुड़ी कॉल की गई हैं। इसी वर्ष मार्च में लगी आग एक हफ्ते तक बुझाई नहीं जा सकी थी। याची ने कहा कि अधिकारी कचरा प्रबंधन के नाम पर करोड़ों रुपये की आलीशान विदेश यात्रा करके आते हैं और इसका शून्य नतीजा कचरे का पहाड़ साबित करता है। याची ने हाई कोर्ट से अपील की कि लोगों को स्वच्छ वायु, स्वस्थ्य वातावरण मिलना सुनिश्चित करने का आदेश दिया जाए।