निर्जला एकादशी : जरूरतमंदों की मदद कर करें व्रत का पारण

हिदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार भी वर्ष भर में आने वाली चौबीस एकादशियों में से जेष्ठ शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 08:36 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 08:36 PM (IST)
निर्जला एकादशी : जरूरतमंदों की मदद कर करें व्रत का पारण
निर्जला एकादशी : जरूरतमंदों की मदद कर करें व्रत का पारण

चेतन भगत, कुराली

हिदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार भी वर्ष भर में आने वाली चौबीस एकादशियों में से जेष्ठ शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। भीषण गर्मी में निर्जल रहकर भगवान विष्णु सहित माता तुलसी की आराधना करने के कारण भी इस व्रत की अहमियत बढ़ जाती है। पंडित विपिन चंद्र नैथानी के अनुसार रविवार को जहाँ गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा वहीं सोमवार को पूरा दिन निर्जल रहकर भक्तजन विधि विधान से निर्जला एकादशी का व्रत रखेंगे।

पंडित विपिन चंद्र नैथानी के अनुसार सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए भवसागर से पार लगाने वाली माँ गंगा पावन एवं पूजनीय है। पुराणों के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को हस्त नक्षत्र में माँ गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। भगवान विष्णु के अंगूठे से निकली गंगा मैया के धरती लोक पर अवतरित होने का पावन पर्व गंगा दशहरा इस बार रविवार को मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि गंगा दशहरा पर ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति बनेगी जिसमे जहाँ सूर्य और चंद्रमा मंगल नक्षत्र में रहेंगे वहीं चंद्रमा पर मंगल और गुरु की दृष्टि पड़ने से महालक्ष्मी और गजकेसरी राजयोग का फल भी मिलेगा। इस दिन विधि- विधान से मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने और मां गंगा की आराधना करने से जातकों के सभी पाप कर्मों का नाश होता है। विधि-विधान से करें निर्जला एकादशी का व्रत

पंडित विपिन चंद्र नैथानी के अनुसार सोमवार को निर्जला एकादशी का व्रत आरंभ करने से पूर्व प्रात: काल ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर नित्यक्रम से निवृत्त होकर गंगाजल से स्नान करने के पश्चात संभव हो तो पीले वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु का पूजन कर सूर्य देव को जल अर्पित करने के पश्चात माता तुलसी की आराधना करे। उन्होंने बताया कि निर्जला एकादशी भीमसेन या पांडव एकादशी के नाम से भी प्रचलित है। व्रती यदि ओम नम: भगवते वासुदेवाय का यथाशक्ति पाठ करते हुए साम‌र्थ्य के अनुसार दान धर्म करें तो मनोवांछित एवं परम पुण्य फल अर्जित कर सकता है। निर्जला एकादशी रविवार शाम 4:21 पर प्रारंभ होगी और सोमवार दोपहर 1:31 मिनट तक रहेगी जबकि व्रत का परायण मंगलवार सुबह 5:24 से 8:12 मिनट तक किया जाएगा। जरूरतमंद को दान कर करें व्रत का पारायण

पंडित नैथानी ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु का सुमिरन करते हुए निर्जल रहकर व्रत का पालन करते हुए खरबूजा, हाथ पंखी, जल से भरा मिट्टी का कलश वस्त्र आदि सामान मंदिर में दान करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। उनका कहना था कि जरूरी नहीं कि निर्जला एकादशी का व्रत परंपरागत समान ही दान करने से परिपूर्ण माना जाता है बल्कि अपने साम‌र्थ्य के अनुसार किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को उसकी जरूरत के अनुसार सामान भेंट कर भी पुण्य अर्जित किया जा सकता है। पंडित विपिन चंद्र नैथानी का कहना था कि शास्त्रों में लिखा है कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। कोरोना वायरस के बीच मौजूदा संकटकाल का समय किसी भी जरूरतमंद की साम‌र्थ्य अनुसार मदद करने के लिए सर्वोत्तम है और यह पुण्य अर्जित करने का अवसर भी यदि निर्जला एकादशी जैसे विशेष दिन या धार्मिक अनुष्ठान के दौरान नसीब हो जाए तो ऐसे दान की महत्व कई गुना बढ़ जाता है।

chat bot
आपका साथी