नहीं लूंगा एफिडेविट वापस, सीनेट व सिंडिकेटर्स की वर्किंग पर उठाए सवाल

-प्रशासनिक सुधारों को लेकर हाईकोर्ट में पेश हुए पीयू के वीसी और रजिस्ट्रार -रजिस्ट्रार

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 May 2018 08:08 AM (IST) Updated:Wed, 16 May 2018 08:08 AM (IST)
नहीं लूंगा एफिडेविट वापस, सीनेट व सिंडिकेटर्स की वर्किंग पर उठाए सवाल
नहीं लूंगा एफिडेविट वापस, सीनेट व सिंडिकेटर्स की वर्किंग पर उठाए सवाल

-प्रशासनिक सुधारों को लेकर हाईकोर्ट में पेश हुए पीयू के वीसी और रजिस्ट्रार

-रजिस्ट्रार ने पीयू की तरफ से हाईकोर्ट में वीसी का एफिडेविट वापस लेने की इजाजत मांगी

- वीसी ने बताया, पीयू को वो लोग नियंत्रित कर रहे जिनका व्यवहारिक रूप से कोई लेना-देना नहीं जेएनएन, चंडीगढ़ : पंजाब यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो. अरुण ग्रोवर ने संस्थान में प्रशासनिक सुधारों को लेकर दाखिल किए एफिडेविट को वापस लेने से साफ इंकार कर दिया। मंगलवार को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान वाइस चासलर ग्रोवर व रजिस्ट्रार कर्नल जीएस चढ्डा एक दूसरे के सामने नजर आए। ऐसा पहली बार हुआ कि जब दोनों एक ही मामले पर एक दूसरे के खिलाफ खड़े। हालांकि रजिस्ट्रार पीयू का पक्ष रख रहे थे और वीसी ने व्यक्तिगत स्तर पर एफिडेविट देने का हवाला दिया।

कार्यकारी चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस तेजिंदर सिंह ढींडसा की खंडपीठ के सामने वीसी ने पीयू की सीनेट और सिंडिकेट बॉडी को कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि पीयू को उन लोगों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था, जिन्हें व्यावहारिक तौर पर इससे कुछ लेना-देना नहीं। यूनिवर्सिटी प्रशासन में शिक्षकों की भूमिका भी नाममात्र है। गवर्निग बॉडीज में कुल वोट 796 है, जिनमें से शिक्षकों के वोट सिर्फ 233 हैं। ऐसे में सिंडिकेट और सीनेट में शिक्षकों की भूमिका नाममात्र रह जाती है। अपने पिछले हलफनामे में प्रो. ग्रोवर ने कहा था कि सिर्फ 2-3 हजार वोट हासिल करके यूनिवर्सिटी की सीनेट में पंहुचा जा सकता है। दूसरी तरफ इसी मामले पर वीसी द्वारा दाखिल एफिडेविट को रजिस्ट्रार ने पीयू प्रशासन की तरफ से वापस लेने की इजाजत कोर्ट से मांगी। वीसी के इंकार ने एक बार सीनेट और सिंडिकेट बॉडी की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा दिया है। कोर्ट के सामने 7 सितंबर 2016 को पुटा बॉडी द्वारा प्रशासनिक सुधारों के सुझाव को भी वीसी ने सही बताया। रिटायरमेंट के बाद कॉमन मेन की तरह लड़ूंगा

प्रो ग्रोवर ने कोर्ट के बाहर आकर कहा कि वो रिटायरमेंट के बाद चुप नहीं बैठेंगे। आम आदमी की तरह मामले को हाई कोर्ट आते रहेंगे और लड़ाई जारी रखेंगे। तब तक प्रयास जारी रखेंगे जब तक कि यह तर्कसंगत समाधान तक नहीं पहुंच जाता। उन्होंने कहा कि मैंने 17 अप्रैल को जो एफिडेविट दाखिल किया था वो किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं था। वाइस चासलर होने के कारण वे यूनिवर्सिटी से जुड़े सभी तथ्यों और आकड़ों को अदालत के सामने लाने को बाध्य है। इसी वजह से उन्होंने अपनी निजी क्षमता में शपथ-पत्र दायर किया था। क्या कहा था वीसी ने एफिडेविट ने

वीसी ने हाईकोर्ट में 17 अप्रैल को एफिडेविट दायर किया था। इसमें उन्होंने सीनेट में गुटबाजी का जिक्र किया था। कहा था कि किसी भी गंभीर विषय पर प्लानिंग से बहस की जाती है। गंभीर मामलों के दोषी प्लानिंग से बचा लिए जाते हैं। इसके अलावा सीनेटर्स के चुनाव में भी वोट पाने के लिए भी गुटबाजी की जाती है। प्रशासनिक सुधार की तुरंत प्रभाव से जरूरत है। 1904 के एक्ट से चल रही यूनिवर्सिटी

यूनिवर्सिटी प्रशासन की व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए प्रो. ग्रोवर ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी देश की अकेली ऐसी यूनिवर्सिटी है जिसे 1904 में बनाए गए अधिनियम के तहत चलाया जा रहा है। पीयू टीचर्स एसोसिएशन की तरफ से दो साल पहले चलाए गए हस्ताक्षर अभियान का जिक्र करते हुए ग्रोवर ने कहा कि प्रशासकीय सुधारो के लिए ही यह अभियान चलाया गया था। एक कार में आए अलग बयान लेकर

वीसी व रजिस्ट्रार सुनवाई के लिए हाईकोर्ट में एक ही कार में आए और अदालत में एक-दूसरे के मत की खिलाफत करते दस्तावेज दायर कर एक ही कार में वापस चले गए। दो साल से सोए रहे, पहले क्यों नहीं बोले

ऐसे पहले वीसी होंगे जो दो कार्यकाल में प्रशासनिक सुधार को लेकर सोए रहे। पहले क्यों नहीं बोले। अब जाकर क्यों जागे। दो कार्यकाल तो ग्रुपबाजी से फुर्सत नही मिली। अब जाकर इनको सुधारों की याद आई ।

प्रो राजेश गिल, पुटा अध्यक्ष।

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