घुड़सवारी के शाैक से चंडीगढ़ पुलिस में मनीष काे मिला प्रमाेशन, अब तक जीत चुके हैं 14 मेडल Chandigarh News

घुड़सवारी में नेशनल लेवल की प्रतियोगिताओं में 14 मेडल जीत चुके मनीष कुमार को चंडीगढ़ पुलिस ने कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल के पद पर प्रमोट किया है।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Tue, 18 Feb 2020 10:46 AM (IST) Updated:Tue, 18 Feb 2020 03:07 PM (IST)
घुड़सवारी के शाैक से चंडीगढ़ पुलिस में मनीष काे मिला प्रमाेशन, अब तक जीत चुके हैं 14 मेडल  Chandigarh News
घुड़सवारी के शाैक से चंडीगढ़ पुलिस में मनीष काे मिला प्रमाेशन, अब तक जीत चुके हैं 14 मेडल Chandigarh News

चंडीगढ़, जेएनएन। घुड़सवारी में नेशनल लेवल की प्रतियोगिताओं में 14 मेडल जीत चुके मनीष कुमार को चंडीगढ़ पुलिस ने कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल के पद पर प्रमोट किया है। यह पहली बार है, जब पुलिस विभाग ने किसी घुड़सवार को इस तरह का सम्मान दिया है।

मनीष में घुड़सवार बनने की चाहत बचपन से थी। परिवार के आर्थिक हालात ऐसे नहीं थे कि शौक पूरा हो सके। करीब तीस साल की उम्र में चंडीगढ़ पुलिस के जवान मनीष कुमार को घुड़सवारी करने का मौका मिला तो उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

ओलंपिक में मेडल जीतना है भिवानी के मनीष का लक्ष्य  

चंडीगढ़ पुलिस में हेड कांस्टेबल के पद पर प्रमोशन पाने वाले मनीष कुमार जीते मेडल के साथ 

मनीष का सपना है कि वह चंडीगढ़ पुलिस और देश के लिए ओलंपिक में मेडल जीतें। देश भर में आयोजित पुलिस गेम्स की सभी बड़ी प्रतियोगिताओं में मनीष मेडल जीतकर ही लौटे हैं। हरियाणा के भिवानी जिले के खरकड़ी गांव में जन्मे मनीष के संघर्ष की कहानी युवाओं के लिए मोटिवेशन से भरी है।

सोमवार को दैनिक जागरण ऑफिस पहुंचे मनीष ने जिंदगी से जुड़े कई कड़वे और घुड़सवारी में सफलता से जुड़े पलों को साझा किया। उन्होंने कहा कि पिता धर्मबीर सिंह कंडक्टर थे। परिवार की माली हालत अच्छी न होने के कारण पुलिस या सेना में भर्ती होकर ही उनका सपना पूरा हो सकता था।

2012 चंडीगढ़ पुलिस में हुए थे भर्ती

मनीष कुमार ने बताया कि दो बार आर्मी और एक बार पुलिस भर्ती में असफल होने पर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। 2012 में चंडीगढ़ पुलिस में मनीष कांस्टेबल पद पर भर्ती हो गए। यही से उनके सपनों को पंख लगे। घुड़सवारी के लिए जब पुलिस विभाग ने आवेदन मांगे तो मनीष के लिए मानो लाटरी लग गई। 2015 में पहले ही घुड़सवारी इवेंट में मनीष ने गोल्ड जीता।

चार गोल्ड सहित 14 मेडल जीत चुके हैं

11 साल की घोड़ी नूरी और अकबर मनीष के हाथ में लगाम के इशारों को बखूबी समझते हैं। उन्होंने नेशनल स्तर के कई इवेंट में 14 मेडल जीते हैं, जिनमें चार गोल्ड, तीन सिल्वर और पांच ब्रांज मेडल शामिल हैं। घुड़सवारी को निखारने में वह कर्नल सरप्रताप और हेड कांस्टेबल अशोक कुमार का विशेष योगदान मानते हैं। एक हादसे में चोट के कारण 34 वर्षीय मनीष का करियर मानो खत्म ही हो जाता, लेकिन इन्होंने हिम्मत नहीं हारी। ट्रेनिंग में घुड़सवार पंकज और कुलदीप से उन्हें काफी मदद मिलती है। परिवार में मां बरती देवी, पत्नी कौशल्या, बेटा दक्ष और बेटी भाविका से भी उन्हें पूरा सपोर्ट मिलता है।

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