शहर को खेलो इंडिया में मेडल दिलाने के लिए जमकर पसीना बहा रही हैं छोरियां
कोरोना महामारी के चलते प्रशासन ने उन खेलों पर पाबंदी लगाई हैं जिनमें शरीरिक दूरी को नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में कबड्डी को खेलने की अभी अनुमति नहीं मिली है।
चंडीगढ़ [विकास शर्मा]। इसी साल एमडी यूनिवर्सिटी रोहतक में आयोजित जूनियर नेशनल कबड्डी चैंपियनशिप में शहर की छोरियों ने ब्रांज मेडल जीतकर मान बढ़ाया था। इस मेडल विजेता टीम में ज्यादातर खिलाड़ी मलोया कबड्डी कोचिंग सेंटर की थी। मेडल जीतने के साथ इस टीम ने खेलो इंडिया के लिए क्वालीफाइ कर लिया था, अब कोरोना महामारी के चलते प्रशासन ने उन खेलों पर पाबंदी लगाई हैं जिनमें शरीरिक दूरी को नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में कबड्डी को खेलने की अभी अनुमति नहीं मिली है। बावजूद इसके शहर की लड़कियों ने फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी है।
कबड्डी कोचिंग सेंटर में अभी प्रैक्टिस करती हैं 30 लड़कियां
मलोया कबड्डी कोचिंग सेंटर के कोच रामेश राणा ने बताया कि अभी मलोया कबड्डी कोचिंग सेंटर में 30 के करीब लड़कियां प्रैक्टिस कर रही हैं। इनमें ज्यादातर खिलाड़ी नेशनल स्तर की खिलाड़ी हैं, ऐसे में इन खिलाड़ियों के लिए फिटनेस बहुत जरूरी हैं। लॉकडाउन के दौरान हमनें पहले तो इन खिलाड़ियों के लिए अॉनलाइन फिटनेस सेशन शुरू किए, लेकिन अब जब सरकार ने कुछ गाइडलाइंस के साथ स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स खोल दिए हैं तो हमनेें भी इनकी फिटनेस के इन्हें ग्राउंड में बुलाना शुरू कर दिया।
परिजनों से एफिडेविट लेने के बाद खिलाड़ियों को अनुमति
कबड्डी कोच पवन राणा और मोहन राणा ने बताया कि अभी ग्राउंड में आने वाली सभी खिलाड़ियों के परिजनों से एफिडेविट लेकर उन्हें कोचिंग करवाई जा रही है। इन खिलाड़ियों को रोजाना सुबह -शाम प्रैक्टिस करवाई जाती है। फिलहाल अभी 15 साल से उम्र से क्रम उम्र बच्चों को अभी ग्राउंड में आने की अनुमति नहीं दी गई है।
खेलो इंडिया में मेडल जीतने के लिए कर रही हैं तैयारी
जूनियर नेशनल में ब्रांज मेडल जीतने वाली टीम की कप्तान महिमा ने बताया कि अभी सारी टीम अपनी फिटनेस पर काम कर रही हैं। कोरोना महामारी के चलते हम ढ़ाई महीने प्रैक्टिस नहीं कर सके, ऐसे में अभी हम खेल तो नहीं पा रहे हैं, लेकिन मैदान में आकर संयुक्त पर खेल से जुड़ी एक्सरसाइज कर रहे हैं। इससे टीम की भावना भी मजबूत होती है, तो दूसरा एक दूसरे को देखकर खिलाड़ियों में मेहनत करने की भावना भी बढ़ती है।