मिल्खा सिंह को बचाने की डाक्टरों ने की हरसंभव कोशिश

- पीजीआइ में इलाज के दौरान हुआ निधन

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 11:08 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 11:08 PM (IST)
मिल्खा सिंह को बचाने की डाक्टरों ने की हरसंभव कोशिश
मिल्खा सिंह को बचाने की डाक्टरों ने की हरसंभव कोशिश

- पीजीआइ में तीन जून को कोविड आइसीयू वार्ड में कराया गया था एडमिट

- चार डाक्टरों की देखरेख में 15 दिन से चल रहा था उनका इलाज

विशाल पाठक, चंडीगढ़

देश की शान फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह को बचाने के लिए पीजीआइ के डाक्टरों ने हरसंभव कोशिश की। पीजीआइ के चार डाक्टरों ने 15 दिनों तक उनकी रिकवरी के लिए हरसंभव प्रयास किए। अफसोस डाक्टरों के हर प्रयास के बावजूद मिल्खा सिंह को नहीं बचाया जा सका।

पीजीआइ के निदेशक प्रो. जगतराम ने बताया कि मिल्खा सिंह कोरोना संक्रमण से तो ठीक हो गए थे, लेकिन संक्रमण के कारण उनके फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया था। कोरोना संक्रमण की वजह से 90 फीसद तक उनके लंग्स खराब हो गए थे। फेफड़े खराब होने से उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। बीते शुक्रवार की रात मिल्खा सिंह का ऑक्सीजन सेच्युरेशन लेवल 70 तक गिर गया था। पीजीआइ के इन चार डाक्टरों ने निभाया अपना कर्तव्य

पीजीआइ के एनिस्थिसिया विभाग के हेड प्रोफेसर जीडी पुरी, डा. हेमंत भगत, पल्मोनरी विभाग के हेड प्रोफेसर आशुतोष नाथ अग्रवाल, कार्डियोलॉजी विभाग के डा. राजेश विजयवर्गीय की निगरानी में मिल्खा सिंह का इलाज चला। प्रो. जगतराम के अनुसार मिल्खा सिंह 14 जून तक अच्छे से रिकवर कर रहे थे, लेकिन संक्रमण की वजह से लंग्स खराब होने से बाद में रिकवरी में मुश्किल हो रही थी। उपर से मिल्खा सिंह की उम्र 91 साल थी। हर रोज पत्नी से बात करने की करते थे जिद

मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह का 13 जून को निधन हो गया था। 16 जून को मिल्खा सिंह की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। इसके बाद उन्हें कोविड आइसीयू वार्ड से शिफ्ट किया गया। मिल्खा सिंह रोज अपनी पत्नी निर्मल कौर से बात करने की जिद करते थे। उनका हालचाल जानने के लिए फोन पर बात करने के लिए कहते थे। आखिरी समय में उनके बेटे जीव ने मिल्खा सिंह को उनकी पत्नी के देहांत के बारे में बता दिया था। मिल्खा सिंह का जाना राष्ट्र का बड़ा नुकसान : प्रो. जगतराम

प्रो. जगतराम ने मिल्खा सिंह के निधन को राष्ट्र के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान बताया। उनका पूरा जीवन खेल को समर्पित रहा। वे जितने दिन पीजीआइ के कोविड आइसीयू वार्ड या एडवांस कार्डियक सेंटर में एडमिट थे। डाक्टरों, नर्सिग स्टाफ और अस्पताल के अन्य कर्मचारियों से मुस्करा कर बात करते और कहते मैं बिल्कुल फिट हूं। मिल्खा सिंह के इस जज्बे से डाक्टरों को भी हौंसला मिलता था कि वे उन्हें जल्द पूरी तरह स्वस्थ कर घर भेज देंगे। आखिर में मिल्खा सिंह के यूं चले जाने से उनका इलाज कर रहे डाक्टरों ने भी शोक जताया।

chat bot
आपका साथी