पीजीआइ के नए निदेशक की दौड़ में पांच डॉक्टरों की प्रबल दावेदारी

पीजीआइ के निदेशक प्रो. जगतराम का कार्यकाल अक्टूबर में पूरा हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 06:49 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 06:49 AM (IST)
पीजीआइ के नए निदेशक की दौड़ में पांच डॉक्टरों की प्रबल दावेदारी
पीजीआइ के नए निदेशक की दौड़ में पांच डॉक्टरों की प्रबल दावेदारी

विशाल पाठक, चंडीगढ़

पीजीआइ के निदेशक प्रो. जगतराम का कार्यकाल अक्टूबर में पूरा हो रहा है। नए निदेशक पद की दौड़ में पीजीआइ के पांच सीनियर डॉक्टरों की प्रबल दावेदारी सामने आई है। पिछली बार निदेशक पद की दौड़ में 55 डॉक्टर शामिल थे। अगस्त के आखिरी में नए निदेशक के लिए इच्छुक सीनियर डॉक्टरों के नाम मांगें जाएंगे। इसके बाद पीजीआइ की गवर्निग बॉडी चार से पांच सबसे सीनियर डॉक्टरों के नाम फाइनल कर केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजेगी। नए निदेशक पद के लिए अंतिम फैसला केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा लिया जाएगा।

यह डाक्टर हैं दौड़ में सबसे आगे

पीजीआइ के नए निदेशक के लिए जिन पांच डॉक्टरों की प्रबल दावेदारी मानी जा रही है। उनमें पीजीआइ के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एचओडी प्रोफेसर सुरजीत सिंह, कार्डियोलॉजी विभाग के हैड प्रोफेसर यशपॉल शर्मा, डर्मेटोलॉजी विभाग के हेड एंड प्रोफेसर संजीव हांडा, टेलीमेडिसिन विभाग की प्रोफेसर मीनू सिंह और एनिस्थिसिया एंड इंटेंसिव केयर विभाग के हैड एंड प्रोफेसर जीडी पुरी का नाम शामिल है।

पद्मश्री मिलना प्रो. जगतराम की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि

पीजीआइ के निदेशक प्रो. जगतराम की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि पद्मश्री सम्मान रहा है। जोकि भारत सरकार ने उन्हें 2019 में दिया गया था। हाल ही में उन्हें ऑल इंडिया कॉलेजियम ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी (एफएआइसीओ) पुरस्कार के फैलोशिप से सम्मानित किया गया था। बता दें पद्मश्री प्रो. जगतराम ने वर्ष 1985 में पीजीआइ में ज्वाइनिग की थी। 2017 में प्रो. जगतराम निदेशक बने। वह अक्टूबर 2018 से एमसीआइ के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य हैं और उन्हें 2019 में विशिष्ट पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पीजीआइ डायरेक्टर जगतराम ने 1978 में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की थी। उसके बाद जून 1982 में पीजीआइ चंडीगढ़ से नेत्र विज्ञान में एमएस किया। बाद में उन्हें स्टॉर्म आइ इंस्टीट्यूट यूएसए में उन्नत फेकमूल्सीफिकेशन के क्षेत्र में डब्ल्यूएचओ फैलोशिप से सम्मानित किया गया। 1998 में बाल चिकित्सा मोतियाबिद सर्जरी में एक और फैलोशिप से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार ने उन्हें 2003 से 2005 तक एक सलाहकार नेत्र रोग विशेषज्ञ के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था। जगतराम ने 1994 में पीजीआइ में एक्स्ट्राकैप्सुलर मोतियाबिद सर्जरी की पुरानी तकनीक की जगह फेकमूल्सीफिकेशन की तकनीक पेश की।

chat bot
आपका साथी