International Fathers Day: पिता योगराज की जिद्द ने Yuvraj Singh को बनाया क्रिकेट जगत का बड़ा ऑलराउंडर

योगराज सिंह भी क्रिकेटर रह चुके हैं। साल 1981 में जब योगराज सिंह टीम से बाहर हुए तो एक पत्रकार ने उनका इंटरव्यू लिया। योगराज ने कहा कि वह पांच साल और टीम में आने के लिए संघर्ष करेंगे। इसके बाद वह अपने बेटे को वर्ल्ड का बेस्ट ऑलराउंडर बनाएंगे।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 11:45 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 06:02 PM (IST)
International Fathers Day: पिता योगराज की जिद्द ने Yuvraj Singh को बनाया क्रिकेट जगत का बड़ा ऑलराउंडर
युवराज सिंह और पिता योगराज सिंह। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। एक पिता जिसने अपनी जिद्द और जुनून से अपने बेटे को चैंपियन बनाया। वह पिता हैं पूर्व क्रिकेटर योगराज सिंह। फादर्स डे के इस खास मौके पर आपको भारतीय क्रिकेट के हीरो रहे युवराज सिंह और उनके पिता योगराज सिंह के जिंदगी के कुछ किस्से बताते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ऑलराउंडर और सिक्सर किंग युवराज सिंह चंडीगढ़ में पले बड़े हैं।

उनके पिता योगराज सिंह भी क्रिकेटर रह चुके हैं। साल 1981 में जब योगराज सिंह टीम से बाहर हुए तो एक पत्रकार ने उनका इंटरव्यू लिया। इस इंटरव्यू में योगराज ने कहा कि वह पांच साल और टीम में आने के लिए संघर्ष करेंगे और अगर वह कामयाब नहीं हो सके तो वह अपने बेटे को वर्ल्ड का बेस्ट ऑलराउंडर बनाएंगे। इस समय सिक्सर किंग युवी सिर्फ डेढ़ साल के थे। योगराज बताते हैं कि अगले दिन अखबार में छपे इंटरव्यू को काटकर उन्होंने एक डायरी में रख लिया और बेटे के लिए प्लास्टिक का बैट और बॉल ले आए। उस दिन के बाद मैं सो नहीं सका और युवी को मैंने सोने नहीं दिया।

योगराज सिंह के इंटरव्यू के बाद उन्होंने इस कटिंग को संभाल कर रखा है।

योगराज बोले- मेरी मां मांगती थी युवी के दुआ

योगराज बताते हैं कि जैसे -जैसे युवी की उम्र बढ़ती गई, वैसे-वैसे मेरा जुनून बढ़ता गया। आठ साल का युवी बैट तब पकड़ता था, जब स्टेडियम के आठ से 10 चक्कर लगाता था। लोग तो लोग मेरा परिवार भी मेरे खिलाफ हो गया। जब मेरी मां अपने आखिरी दिनों में अस्पताल में भर्ती थी तो मैं युवी को लेकर उनके पास हालचाल जानने के लिए पहुंचा। तब युवी 12 साल का था। मेरी माता गुरनाम कौर ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा कि मेरे पोते की जान बख्श दे, यह मर जाएगा। तब मैंने अपनी मां से कहा, मां यह नहीं हो सकता है, लेकिन यकीनन आप एक दिन मुझे जरूर माफ कर देंगी। आज मैं कह सकता हूं कि मेरी मां ने मुझे माफ कर दिया होगा।

सालों बाद युवी ने पिता योगराज को कहा थैंक्स

युवी को स्केटिंग और टेनिस खेलना पसंद था और योगराज को उनके जीते मेडल चुभते थे। योगराज उन्हें सिर्फ क्रिकेट में वर्ल्ड चैंपियन बनाना चाहते थे। योगराज बताते हैं कि जब साल 2011 के वर्ल्डकप के दौरान युवी को कैंसर हुआ था, तो उन्होंने युवी से इतना ही कहा था कि यह मौका दोबारा नहीं आएगा। ग्राउंड ही तेरी रणभूमि है अब तू इसे छोड़ नहीं सकता। इस जीत के बाद युवी ने अपने पिता को एक बैट भेंट किया, जिसपर लिखा था थैंक्स डैड फॉर टर्निंग मी इन ग्रेटेस्ट वॉरियर, एंड राइटिंग एप्पिक जर्नी फॉर मी, थैंक्यू । यह शब्द मेरी सालों की तपस्या के लिए किसी वरदान से कम नहीं थे।

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