पंजाब के किसान संगठन चाहते है सीधी अदायगी हो लेकिन कहा- अभी समय सही नहीं

पंजाब के किसान संगठन अपनी फसलों की खरीद के सीधे भुगतान की व्‍यवस्‍था से सहमत हैं। वे चाहते हैं कि किसानों को उनकी फसल का सीधा भुगतान मिले लेकिन किसान आंदोलन के मद्देनजर उनका कहना है कि यह व्‍यवस्‍था लागू करने का य‍ह सही समय नहीं है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 05:47 AM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 05:47 AM (IST)
पंजाब के किसान संगठन चाहते है सीधी अदायगी हो लेकिन कहा- अभी समय सही नहीं
पंजाब के किसान संगठन सीधे भुगतान की व्‍यवस्‍था से सहमत हैं। (फाइल फोटो)

चंडीगढ,जेएनएन। किसानों को फसल की सीधी अदायगी को लेकर भले ही आढ़ती व पंजाब सरकार भले ही विरोध कर रही हो लेकिन किसान संगठन इसके हक में है। किसान संगठन खुद चाहते है कि फसल की सीधी अदायगी किसानों के खाते में जानी चाहिए। किसान चार महीने तक फसल को पालता है। लेकिन आढ़ती एक माह में ही किसानों से न सिर्फ ज्यादा कमाई कर लेता है। किसान का शोषण भी होता है। पंजाब सरकार जहां आढ़ती और किसानों के रिश्ते को नाखून-मांस का रिश्ता बता रही है। वहीं, किसानों के सबसे बड़े गुट भारतीय किसान यूनियन (उगरांहा) का कहना है कि किसान और आढ़ती का रिश्ता नाखून और मांस का नहीं बल्कि खरबूजे और छूरी का है। कटना किसान को ही है।

किसान और आढ़ती का रिश्ता नाखून और मांस का नहीं बल्कि खरबूजे और छुरी काः उगरांहा

केंद्र सरकार द्वारा किसानों के खाते में सीधी फसल की अदायगी को लेकर किसान व किसान संगठनों में उत्साह है। यही कारण है कि आढ़ती व खुद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जब डीबीटी का विरोध किया तो किसानों ने कभी भी इसका समर्थन नहीं किया। सीधी अदायगी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले संयुक्त किसान यूनियन के नेता प्रो. जगमोहन सिंह कहते है, किसानों की लंबे समय से सीधी अदायगी की मांग रही है। इसके लिए बाकायदा हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया गया है।

इस फैसले को लेकर किसान केंद्र सरकार के साथ है लेकिन अभी समय ठीक नहीं था। टाइमिंग पर संदेह व्यक्त करते हुए प्रो. जगमोहन सिंह कहते है, यह किसानों के कृषि बिलों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को तारपीडो करने के लिए किया गया है। सरकार को सीधी अदायगी का फैसला कुछ समय आगे बढ़ा देना चाहिए था। अलबत्ता केंद्र सरकार का यह फैसला अच्छा है।

वहीं, जोगिंदर सिंह उगरांहा तो सीधे किसान और आढ़ती के रिश्ते में किसानों को खरबूजा बताते हैं। चाहे छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छूरी पर कटना तो खरबूजे को ही है। यही कारण है कि सरकार को डीबीटी के मामले में किसानों का समर्थन नहीं मिल पा रहा है। जैसा की कृषि सुधार कानून के मामले में नहीं था।

कृषि कानून के मामले में कांग्रेस द्वारा विरोध करने पर किसान संगठन सड़कों पर उतर आए थे। जोकि अभी तक सड़कों पर बैठे हुए है। वहीं, किसान भी केंद्र सरकार के इस फैसले से खुश है। क्योंकि छोटा किसान न सिर्फ अपनी फसल आढ़ती के पास बेचता है बल्कि उसे बीच से लेकर अपने जरूरत की काफी सारी चीजे इन्हीं आढ़तियों से खरीदनी पड़ती है।

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