असफलता से नहीं हुए निराश, मेहनत रंग लाई और एनसीसी ग्रुप चंडीगढ़ के तीन कैडेट बने लेफ्टिनेंट
एनसीसी ग्रुप चंडीगढ़ के खुशदेव अरोड़ा दिग्विजय सिंह राणा और सहजदीप सिंह ने इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट का रैंक हासिल किया है। सहजदीप ने इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आइएमए) देहरादून से ट्रेनिंग पास जबकि खुशदेव अरोड़ा और दिग्विजय राणा ने आफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) चेन्नई से पासआउट हैं।
चंडीगढ़, [सुमेश ठाकुर]। असफल होने का अर्थ कभी अंत नहीं होता। इसी को सच कर दिखाया है एनसीसी ग्रुप चंडीगढ़ के एनसीसी कैडेट ने। उन्होंने एक या दो बार में नहीं, बल्कि कई बार असफल होने के बावजूद हिम्मत नहीं छोड़ी और अंत में लेफ्टिनेंट का रैंक हासिल कर खुद के सपनों को पूरा कर लिया।
एनसीसी ग्रुप चंडीगढ़ के खुशदेव अरोड़ा, दिग्विजय सिंह राणा और सहजदीप सिंह ने इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट का रैंक हासिल किया है। सहजदीप ने इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आइएमए) देहरादून से ट्रेनिंग पास, जबकि खुशदेव अरोड़ा और दिग्विजय राणा ने आफिसर ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) चेन्नई से खुद के मुकाम को हासिल किया है। ब्रिगेडियर बीएस ढिल्लों ने कहा कि तीन युवाओं द्वारा लेफ्टिनेंट का रैंक हासिल करना सिर्फ एनसीसी ग्रुप के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे शहर के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने बुधवार को तीनों युवाओं को ट्राफी और कैश अवार्ड के साथ सम्मानित करते हुए विदाई दी। तीनों लेफ्टिनेंट 20 जून से पहले आधिकारिक रूप से ज्वाइन करने जा रहे हैं।
11वीं बार में पास हुआ एसएसबी टेस्ट, पहुंचा ओटीए
मोहाली जिले के लालड़ू के स्थायी निवासी लेफ्टिनेंट दिग्विजय सिंह राणा ने बताया कि उनके पिता भी आर्मी में है। वह 38 सालों से भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं। मैंने 11वीं बार में सर्विस सलेक्शन बोर्ड (एसएसबी) टेस्ट को क्लियर किया और उसके बाद ओटीए चेन्नई में जगह बनाई। दिग्विजय ने बताया कि मुझे पापा का लाइफ स्टाइल बेहतर लगता था और मैं हमेशा हर बात पापा से पूछकर करता था। मैंने एसएसबी टेस्ट क्लियर करने के बाद इंटरव्यू में भी असफलता हासिल की है, लेकिन पिता भूपेंद्र हमेशा कहते थे कि जब तक सांस तब तक आस। मैंने पापा की उसी को दिल में रखा और स्कूल की पढ़ाई के बाद मैंने सीसीईटी सेक्टर-26 चंडीगढ़ से डिप्लोमा हासिल भी किया है लेकिन आर्मी में पहुंचना मेरा जनून था जो कि अब पूरा हुआ है।
बचपन में आर्मी कैंप देख सेना में अफसर बनने की जगी ललक
ओटीए चेन्नई से लेफ्टिनेंट का रैंक हासिल करने वाले ले. खुशदेव अरोड़ा ने बताया कि बचपन में नानी के घर पटियाला जाता था। उसके रास्ते में आर्मी कैंप आता था। उसके अंदर जाने की ललक ने मुझे आर्मी में आने के लिए प्रेरित किया। एसडी कालेज सेक्टर-32 से ग्रेजुएशन पास और उसके बाद रीजनल इंस्टीट्यूट इंग्लिश से मास्टर की। ओटीए चेन्नई तक पहुंचने के लिए आठ बार एसएसबी का टेस्ट दिया जिसमें हर बार नाकामी मिली लेकिन कैंप में जाने की ललक ने मुझे नौवीं बार में सफलता दिला दी। जिसके लिए मैं एनसीसी ग्रुप चंडीगढ़ का भी शुक्रगुजार हूं कि मैं अपने सपनों को हासिल कर सका हूं।
पापा और दादा आर्मी में, उनकी तरह बनने के लिए की मेहनत
सहजदीप सिंह नुरपुरी ने बताया कि आईएमए देहरादून तक पहुंचने के लिए छह बार एसएसबी का टेस्ट अटेंड किया। अंतिम बार मुझे सफलता मिली और आइएमए देहरादून में जाने का मौका मिला। पापा कर्नल केएस नूरपुरी और दादू कैप्टन जीएस नूरपुरी सेना में थे। मैं भी उनकी तरह आर्मी में जाने का सपना देखता था। सबसे बड़ा आकर्षण उनकी वर्दी पर लगा हुआ उनका नाम और स्टार थे। जिन्होंने मुझे आकर्षित किया और मैंने बार-बार फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी और लेफ्टिनेंट का रैंक हासिल कर लिया।