कभी खुद को थी जिंदगी से नफरत, आज दूसरों को सीखा रहीं जीना

17 वर्ष की उम्र में ही रितु पर पर एसिड अटैक हुआ था। इस घिनौनी घटना को अंजाम देने वाला कोई और नहीं बल्कि उसका ही नजदीकी रिश्तेदार था।

By Edited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 09:20 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 10:03 AM (IST)
कभी खुद को थी जिंदगी से नफरत, आज दूसरों को सीखा रहीं जीना
कभी खुद को थी जिंदगी से नफरत, आज दूसरों को सीखा रहीं जीना

चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। एक समय खुद जिंदगी से हताश, निराश और परेशान रहने वाली लड़की आज दूसरों के लिए जीवन का सहारा बनी हुई है। जिसे कभी खुद की जिंदगी से नफरत थी, लेकिन आज दूसरों की जिंदगी बना रही है। जी हां! हम यहां बात कर रहे हैं हरियाणा के रोहतक जिले के गांव प्रेमनगर की रहने वाली 22 वर्षीय रितु सैनी की। 17 वर्ष की उम्र में ही रितु के साथ ऐसा हादसा हुआ, जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। 26 मई 2012 को रितु पर एसिड अटैक हुआ था। जिसने इस घिनौनी घटना को अंजाम दिया था, वह कोई और नहीं, बल्कि नजदीकी रिश्तेदार था।

लॉकडाउन में कैफे हुआ बंद, खुद की मदद

आगरा में शीरोज नाम से और लखनऊ में कैफे चल रहे हैं, जहां एसिड अटैक पीड़िताओं को रोजगार दिया जाता हैं। रितु के साथ रूपा, रानी, नीतू, गीता और सोनम इस कैफे से जुड़ी हुई हैं। लॉकडाउन में कैफे बंद होने के बाद वहां काम रही पीड़ितों को आर्थिक परेशानी होनी लगी। ऐसे में रितु और उनकी टीम ने हर लड़की को पांच-पांच हजार रुपये की मदद की। उनकी कोशिश है कि प्रति माह हर लड़की को 10 हजार रुपये दिए जाए।

मां-बाप की वजह से मिली नई पहचान

अस्पताल से वापस आने के बाद आईने में अपना चेहरा देखा, तो खुद से नफरत हो गई थी। जो दोस्त कभी उसके साथ रहते थे, हमले के बाद उन्होंने भी दूरियां बना ली। लेकिन उनके मां-बाप हर कदम पर रितु के साथ खड़े रहे। उनकी मां ने घर के सभी शीशों को कपड़ों से ढक दिया था, ताकि रितु अपना चेहरा देखकर निराश न हो।

130 लड़कियों को दी नई राह

हमले के बाद रितु के हार न मानने के जज्बे ने उन्हें दूसरों के लिए आदर्श बनाया। रितु कैफे द्वारा 130 एसिड अटैक पीड़िताओं को रोजगार, पढ़ाई, पुनर्वास, ड्रेस डिजाइनिंग, लाइब्रेरी, कैफे की सुविधा दे रही हैं। इस काम की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ एसिड अटैक पीड़ित महिलाएं ही संभालती हैं। 90 फीसद जल चुका चेहरा, आंख भी हो चुकी खराब, आठ ऑपरेशन हमले के बाद रितु का चेहरा 90 फीसद तक जल गया। उसके अलावा हाथ और गर्दन भी एसिड की वजह से झुलस गए थे। हमले में रितु की दाहिनी आंख की रोशनी पूरी तरह से चली गई और बाई आंख भी प्रभावित हुई है। आठ ऑपरेशन और ऐसा जानलेवा हमला होने के बावजूद रितु आज न केवल जिंदा हैं, बल्कि वे दूसरों को भी जिंदगी जीने की शिक्षा दे रही हैं।

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