शहर के सबसे बड़े सोलर प्रोजेक्ट पर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट का अड़ंगा Chandigarh news
दो साल से यह प्रोजेक्ट एनओसी नहीं मिलने की वजह से अटका है। क्रेस्ट के बार बार रिमाइंडर के बाद भी इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट मंजूरी देने को तैयार नहीं है।
चंडीगढ़, बलवान करिवाल। मॉडल सोलर सिटी का सबसे बड़े सोलर प्रोजेक्ट लटक गया है। इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने पटियाला की राव पर लगने वाले तीन मेगावॉट के सोलर प्रोजेक्ट पर अड़ंगा लगा दिया है। इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट से मंजूरी नहीं मिलने के कारण यह प्रोजेक्ट फाइलों में दम तोड़ गया है। दो साल से यह प्रोजेक्ट एनओसी नहीं मिलने की वजह से अटका है। चंडीगढ़ रिन्यूअल एनर्जी साइंड एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशनल सोसायटी (क्रेस्ट) के बार बार रिमाइंडर के बाद भी इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट मंजूरी देने को तैयार नहीं है। बिना एनओसी के प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हो पा रहा है। यह तो तब है जब क्रेस्ट डिपार्टमेंट की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए प्रोजेक्ट में बदलाव भी कर चुका है।
पैनल के बीच छोड़ी जाएगी खाली जगह
इससे पहले इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि पटियाला की राव पर सोलर पैनल लगने से नीचे साफ सफाई नहीं हो सकेगी। इस आपत्ति के बाद क्रेस्ट ने प्रोजेक्ट डिजाइन में बदलाव किया। जिसमें पैनल के बीच में खाली जगह छोड़ी जाएगी। इससे चौ की सफाई करने में कोई परेशानी नहीं होगी। वैसे भी पटियाला की राव साल भर सूखी रहती है सिर्फ बरसाती पानी ही इससे गुजरता है। ऐसे में प्रोजेक्ट पैनल के बीच में जगह छोडऩे से किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी। बावजूद इसके इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट क्लीयरेंस देने के मूड में नहीं है।
एक मेगावॉट का है पेक प्रोजेक्ट
पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पेक) की बिल्डिंग पर एक मेगावॉट का रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट लगाया गया है। यह प्रोजेक्ट शहर का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। शहर में और जितने भी प्रोजेक्ट लगे हैं वह इससे छोटे हैं। इसके बाद दूसरा सबसे बड़ा प्रोजेक्ट पटियाला की राव पर लगाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था।
वाटर वक्र्स प्रोजेक्ट में होगा बदलाव
सेक्टर-39 वाटर वर्कस में 15 मेगावॉट का प्रोजेक्ट लगाने का एस्टीमेट तैयार किया गया था। लेकिन नगर निगम ने इस प्रोजेक्ट को थोड़ा और बढ़ाने को कहा है। जिससे इसमें कुछ बदलाव किया जाएगा। इसके बाद ही प्रोजेक्ट शुरू हो सकेगा। इस प्रोजेक्ट से भी क्रेस्ट को खासी उम्मीद है। मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूअल एनर्जी (एमएनआरई) ने 2022 तक 69 मेगावॉट सोलर एनर्जी जेनरेशन का लक्ष्य निर्धारित किया है। अभी 50 फीसदी यानी 34 मेगावॉट सोलर एनर्जी ही जेनरेट हो रही है। इसलिए पटियाला की राव और वाटर वर्कस का प्रोजेक्ट अहम हैं।
पर्यावरण भवन को ग्रिड से बिजली की नहीं रहेगी जरूरत
सेक्टर-19 पर्यावरण भवन 100 प्रतिशत रिन्यूअल एनर्जी से संचालित होने वाली शहर की पहली बिल्डिंग बनेगी। अभी 25 प्रतिशत रिन्यूअल एनर्जी का इस्तेमाल होती है। भवन की पार्किंग में 250 किलोवॉट का सोलर प्रोजेक्ट लगाया जा रहा है। इसके साथ ही बोटेनिकल गार्डन में भी प्रोजेक्ट लग रहा है। इन दोनों से पूर्ति के बाद इस भवन को ग्रिड से बिजली लेने की जरूरत नहीं रहेगी।
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