कर्मचारी स्मार्ट घड़ी बांधेगे या उतारेंगे, अंतिम निर्णय सदन की बैठक में होगा

नगर निगम के पार्षद चाहते हैं कि जो नगर निगम के कर्मचारियों को कारगुजारी बेहतर करने के लिए स्मार्ट घड़ियां दी हैं उसे उतार दी जाए। इस माह होने वाली सदन की बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 07:47 AM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 07:47 AM (IST)
कर्मचारी स्मार्ट घड़ी बांधेगे या उतारेंगे, अंतिम निर्णय सदन की बैठक में होगा
कर्मचारी स्मार्ट घड़ी बांधेगे या उतारेंगे, अंतिम निर्णय सदन की बैठक में होगा

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : नगर निगम के पार्षद चाहते हैं कि जो नगर निगम के कर्मचारियों को कारगुजारी बेहतर करने के लिए स्मार्ट घड़ियां दी हैं उसे उतार दी जाए। इस माह होने वाली सदन की बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। पिछले साल स्मार्ट घड़ियों पर सवाल उठने के बाद जिस कमेटी का गठन किया था, उस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। कमेटी की रिपोर्ट इस सदन की बैठक में सौंपी जाएगी। 28 अप्रैल को सदन की बैठक मेयर की ओर से बुलाई गई है लेकिन इस रिपोर्ट में अधिकारियों ने तर्क दिया है कि स्मार्ट घड़ियां नहीं उतारी जानी चाहिए। उनका कहना है कि इससे कर्मचारियों की कारगुजारी बढ़ रही है और नगर निगम को फायदा है। जबकि कमेटी के पार्षद सदस्यों ने कहा कि नगर निगम में वित्तीय संकट है और इससे हर माह 18 लाख रुपये का बोझ किराए का भुगतान करने से बढ़ रहा है। कमेटी के सदस्य और पूर्व मेयर राजेश कालिया का कहना है कि कमेटी ने कई बैठक कर अपनी रिपोर्ट दे दी है जिसमे कहा है कि घड़ियों का कोई ज्यादा फायदा नहीं है। जितना किराया हर माह दिया जा रहा है इससे 150 अतिरिक्त कर्मचारी रखे जा सकते हैं। घड़ियों की लोकेशन भी गलत आ रही है।

इस समय नगर निगम ने अपने चार हजार कर्मचारियों को यह घड़ियां दी हैं। सफाई कर्मचारी यूनियन का मानना है कि घड़ियां पहनने से बंधक मजदूर की भावना आती है। साथ ही स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है। इस मुद्दे को लेकर सफाई कर्मचारी यूनियन ने हड़ताल भी की थी। अधिकारियों का यह भी मानना है कि अगर यह प्रोजेक्ट खारिज किया जाता है तो कंपनियों को तीन करोड़ से ज्यादा की राशि लौटानी पड़ेगी। हर घड़ी की कीमत आठ हजार रुपये है। इस समय नगर निगम इन घड़ियों का हर माह 18 लाख रुपये किराया दे रहा है। घड़ी में स्पीकर और माइक्रोफोन भी है। एसओएस नंबर इस घड़ी में पहले से स्टोर है। एसओएस बटन के जरिए संबंधित ऑफिसर उससे संपर्क कर सकता है। एसओएस की काल रिकॉर्ड नहीं होगी। एमसी ऑफिसर कभी और किसी भी वक्त इस घड़ी पर कॉल करके किसी कर्मचारी से बात कर सकेगा। कर्मचारी की कलाई में बंधी घड़ी में टेक ऑफ सेंसर लगा है, जिससे ये पता चल सकेगा कि घड़ी एमसी के कर्मचारी ने पहनी है या नहीं। या किसी और की कलाई पर बंधी है। अगर कर्मचारी वर्किंग ऑवर में घड़ी को अपनी कलाई से खोल देता है या एरिया में वर्क छोड़ देता है तो ऐसे में संबंधित ऑफिसर के पास अलर्ट आ जाता है। इससे वह फौरन उस कर्मचारी से संपर्क कर लेता है।

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