चंडीगढ़ में 150 एकड़ जमीन आवंटन के बाद भी नहीं बनी एजुकेशन सिटी, अब पंचकूला में फास्ट ट्रैक से बनेगी

150 एकड़ जमीन आवंटित करने के बाद भी प्रशासन चंडीगढ़ में एजुकेशन सिटी डेवलप नहीं कर पाया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 06:19 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 06:19 AM (IST)
चंडीगढ़ में 150 एकड़ जमीन आवंटन के बाद भी नहीं बनी एजुकेशन सिटी, अब पंचकूला में फास्ट ट्रैक से बनेगी
चंडीगढ़ में 150 एकड़ जमीन आवंटन के बाद भी नहीं बनी एजुकेशन सिटी, अब पंचकूला में फास्ट ट्रैक से बनेगी

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : 150 एकड़ जमीन आवंटित करने के बाद भी प्रशासन चंडीगढ़ में एजुकेशन सिटी डेवलप नहीं कर पाया है। जिन एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन को जमीन आवंटित की गई थी वह भी प्रशासन की नीतियों से तंग आकर इसे सरेंडर कर गए। नौबत यह है कि एजुकेशन सिटी के नाम पर सारंगपुर में केवल एक एजुकेशनल संस्थान नर्सी मुंजी कॉलेज ने अपना कैंपस बनाने में रूचि दिखाई है। यूटी प्रशासन की इसी नाकामी का फायदा हरियाणा सरकार ने उठाने की नींव रख दी है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की घोषणा के बाद पंचकूला में एजुकेशन सिटी डेवलप करने का काम फास्ट ट्रैक से शुरू हो गया है। चंडी मंदिर के पीछे खाली जमीन पर इसे डेवलप करने का काम शुरू हो गया है। रोड को चौड़ा किया जा रहा है। बात घोषणा तक सीमित नहीं है सीएम मनोहर लाल समीक्षा बैठक भी लगातार कर रहे हैं। चंडीगढ़ के सख्त नियम और कायदों और प्रशासन के अधिकारियों के गलत रवैये की भेंट यह प्रोजेक्ट चढ़ गया। सारंगपुर में डेवलप होनी थी एजुकेशन सिटी

सांसद किरण खेर के गोद लिए गांव सारंगपुर की जमीन पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत एजुकेशन सिटी प्रोजेक्ट डेवलप करने का निर्णय लिया गया था। इस प्रोजेक्ट के लिए 150 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी, जिसमें पहले फेज के तहत प्राइवेट प्लेयर्स के लिए 75 एकड़ जमीन रिजर्व रखी गई थी। बाकी 75 एकड़ जमीन इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन और दूसरे प्रोफेशनल कॉलेज के लिए रखी जानी थी। यह जमीन 33 वर्ष के लिए लीज पर दी जानी थी। प्राइवेट पार्टनर्स को ही रेवेन्यू शेयरिग का मॉडल भी फाइनल करना था। शॉर्टलिस्ट कई हुए, कैंपस केवल नर्सी मुंजी ने बनाया

सेकेंड फेज में जिन नौ प्राइवेट प्लेयर्स को यूटी प्रशासन ने शॉर्टलिस्ट किया था। इनमें से तीन ने ही एजुकेशन सिटी प्रोजेक्ट के लिए एग्रीमेंट साइन किया था। नर्सी मुंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एनएमआइएमएस), चितकारा एजुकेशन ट्रस्ट, इंडियन एक्सप्रेस न्यूजपेपर मुंबई लिमिटेड इनमें शामिल थे। पहले फेज में जिन छह प्राइवेट प्लेयर शॉर्टलिस्ट किए गए थे, उनमें डीएवी कॉलेज मैनेजिग कमेटी नई दिल्ली, फोर्टिस हेल्थ केयर लिमिटेड नई दिल्ली, विले पार्ले केलवानी मंडल मुंबई, टेक महिद्रा लिमिटेड पुणे, हित अभिलाषी फाउंडेशन सोसायटी शामिल थे, लेकिन एग्रीमेंट साइन नहीं हो पाया। यही वजह है कि केवल नर्सी मुंजी इंस्टीट्यूट ने ही सारंगपुर में अपना कैंपस तैयार किया है। कोरोना की वजह से इसका सेशन शुरू नहीं हो पाया नहीं तो कैंपस का 90 फीसद काम पूरा हो चुका है। लीज होल्ड की बली चढ़ गया प्रोजेक्ट

चंडीगढ़ के अधिकतर बड़े प्रोजेक्ट के सफल नहीं होने की वजह से जमीन लीज पर देना है। यही लीज चंडीगढ़ हाउसिग बोर्ड के अलाटियों के लिए भी मुसीबत बनी है। इंडस्ट्री भी फ्री होल्ड नहीं मिलने का दंश झेल रहे हैं। एजुकेशन सिटी भी इसकी भेंट चढ़ गई। यही कारण है कि 2013 में अलग-अलग फेज में 15 से अधिक संस्थानों ने आवेदन किया। शॉर्टलिस्ट भी हुए, लेकिन फाइनल एग्रीमेंट साइन नहीं किया। इन इंस्टीट्यूट को 33 वर्ष के लिए ही जमीन लीज पर देने की शर्त थी। हालांकि यह आगे 33 वर्ष के लिए एक्सटेंड हो जाती, लेकिन संस्थान इस पर सहमत नहीं हुए। उन्होंने जमीन ही सरेंडर कर दी।

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